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Jaipur फर्जी दस्तावेजों से छात्र ने एक ही सत्र में डी-फार्मेसी के प्रथम और द्वितीय वर्ष की पढ़ाई की

 
Jaipur फर्जी दस्तावेजों से छात्र ने एक ही सत्र में डी-फार्मेसी के प्रथम और द्वितीय वर्ष की पढ़ाई की

जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में फर्जी दस्तावेजों से आंख मूंदकर रजिस्ट्रेशन हुए थे। इनमें ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की डिग्रियां भी शामिल थीं। चिकित्सा विभाग को जांच में 101 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी मिले थे। इस पर विभाग ने अशोक नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई थी. मामले की पड़ताल की तो चौंकाने वाले मामले सामने आए। काउंसिल के अधिकारियों ने मिलीभगत करके फर्जी दस्तावेजों के जरिए बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन कर दिए। इस दौरान अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाती तो फर्जी दस्तावेज आसानी से पकड़ में आ सकते थे, लेकिन आंख मूंदकर जांच की गई। एक ऐसे अभ्यर्थी का काउंसिल ने रजिस्ट्रेशन कर दिया जो एक ही साल में डी-फार्मेसी के प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष में पढ़ाई कर रहा था। एक मामला स्टूडेंट को डी-फार्मेसी का डिप्लोमा पहले मिलने और 12वीं बाद में पास करने का सामने आया है। फर्जी दस्तावेजों के मामले सामने आने के बाद सरकार ने अब यहां रजिस्ट्रार भी बदल दिया है। सरकार ने रजिस्ट्रार के पद पर नरेंद्र रैगर को नियुक्ति किया है।

केस-1 : एक फर्जी डिप्लोमा को सही साबित करने के लिए दूसरा फर्जीवाड़ा

एक आवेदक ने पहले 2011 में 12वीं मध्यप्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ग्वालियर से करना बताया। इसके साथ ओपीजेएस यूनिवर्सिटी का डी-फार्मेसी का डिप्लोमा लगाया। इसमें 2018-19 में प्रथम और 2019-20 में द्वितीय वर्ष करना बताया। आवेदक की 12वीं को नियमानुसार नहीं माना गया तो उसने 2019 में 12वीं एनआईओएस से करना बता दिया, जबकि इस समय वह ओपीजेएस में अध्ययनरत था। इसके बाद इसने ओपीजेएस का डी-फार्मेसी का डिप्लोमा भी बदल दिया। उसने 2019-20 में प्रथम वर्ष और 2020-21 में द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत बताया। ओपीजेएस यूनिवर्सिटी एक ही अभ्यर्थी को 2019-20 में प्रथम व द्वितीय वर्ष में कैसे दिखा सकती है।

केस-2 : सत्यापन नहीं, फिर भी रजिस्ट्रेशन

भावना भट्ट और आशीष शर्मा ने रजिस्ट्रेशन के लिए काउंसिल में आवेदन किया। काउंसिल ने राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल जयपुर से दोनों अभ्यर्थियों की 12वीं की अंकतालिका के सत्यापन के लिए पुष्टि चाही तो बताया गया कि ये जारी नहीं हुई। इसके बाद भी काउंसिल ने दोनों छात्रों का रजिस्ट्रेशन कर दिया। भावना भट्ट का 63726 और आशीष शर्मा का रजिस्ट्रेशन नंबर 63725 है।

केस-3 : एक आवेदक एक समय में दो जगह मौजूद

आवेदक ने 2018 में 12वीं एनआईओएस से करना बताया। इसी साल बुंदेलखंड में फार्मेसी में प्रवेश लिया, 2020 में फार्मेसी की। जुलाई 21 को फार्मेसी काउंसिल में आवेदन। इससे पहले ही 2020 में ओपीजेएस में डी-फार्मेसी में प्रवेश। पहले आवेदन में दिसंबर 20 से अप्रैल 21 तक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट लगाया, जबकि ओपीजेएस में पढ़ रहा था।

केस-4 : आवेदन निरस्त हुआ तो ले आए दूसरे दस्तावेज

12वीं 2016 में सिरसा से करना बताया। फार्मेसी का डिप्लोमा 2019 से 2021 केआर यूनिवर्सिटी गुरुग्राम से बताया। रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो दिसंबर 2022 में दोबारा आवेदन किया। इसमें 12वीं एनआईओएस जोधपुर और फार्मेसी गजपति कॉलेज ओडिशा से करना बताया।

ये बड़े सवाल?

जब काउंसिल के पास ही फर्जी मार्कशीट आ गई तो जांच क्यों नहीं कराई गई और ऐसे अभ्यर्थियों के रजिस्ट्रेशन कैसे हो गए?
सत्यापन के लिए भेजे गए दस्तावेजों को गलत बता दिया गया तो उन अभ्यर्थियों का रजिस्ट्रेशन कैसे किया गया?
जिन अधिकारियों ने रजिस्ट्रेशन किए, उन पर कार्रवाई कब?

पुलिस जांच कर रही, जो दस्तावेज मांगेगी देंगे
राजस्थान फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार नरेंद्र रेगर ने बताया- फर्जी दस्तावेजों से रजिस्ट्रेशन को लेकर पुलिस में मामला दर्ज है। पुलिस जांच कर रही है। पुलिस ने हमसे इससे संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मांगे हैं, जो भी मांगेगी, हम देने को तैयार हैं। जांच को प्रभावित नहीं होने देंगे।