Jaipur पीएचडी छात्रा से छेड़छाड़ मामले में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर समेत दो लोग दोषमुक्त
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर मेट्रो-प्रथम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 13 साल पहले पीएचडी छात्रा से छेड़छाड़ मामले में राजस्थान यूनिवर्सिटी के फिजिक्स विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर ऋषि सिंघल व सहायक प्रोफेसर सत्यनारायण डोलिया को संदेह का लाभ देते हुए छेड़छाड़ व महिलाओं का अशिष्ठ रुपण प्रतिषेध अधिनियम के आरोप में दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि 24 फरवरी 2011 को आरोपियों ने शाम 4:15 बजे प्रार्थिया को रोक उसके साथ आपराधिक बल का प्रयोग किया व हाथ पकड़कर लज्जा भंग की और उसके आपत्तिजनक फोटो खींचकर उसे बदनाम करने की धमकी दी। मामले से जुड़े अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि कोर्ट ने फैसले में माना कि प्रार्थिया ने घटना के कई दिनों बाद रिपोर्ट दर्ज कराई और देरी का कोई साक्ष्य नहीं दिया है।
यह साबित नहीं हो पाया कि आरोपियों ने किस तरह उसके खिलाफ अपराध किया है। मामले के ज्यादातर गवाहों ने पीड़िता की ओर से लगाए आरोपों, अश्लील फोटो व लेटर प्राप्त होने से इनकार किया है। वहीं गवाहों ने कहा कि पीड़िता ने उन्हें यह कभी नहीं बताया कि पीएचडी करने के दौरान दोनों आरोपियों ने उसके साथ कोई छेड़छाड़ की थी। दरअसल, 27 जून 2011 को पीड़िता छात्रा ने गांधी नगर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसने फरवरी 2010 में यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ऋषि सिंघल के अंडर में पीएचडी शुरू की और अप्रैल 2010 से फिजिक्स लैब जाना शुरू कर दिया।
वहां पर पेपर वर्क प्रोफेसर सिंघल के निर्देशन में होता था और सहायक प्रोफेसर एसएन डोलिया उसके गाइड थे। ये दोनों उसे किसी ना किसी बहाने छूने की कोशिश करते थे। वह 24 फरवरी 2011 को जब प्रोफेसर सिंघल को अपनी बहन की शादी का कार्ड देने गई तो उन्होंने कहा कि उसका पेपर पब्लिश हो गया है, मिठाई खिलानी होगी। सिंघल ने उसका हाथ पकड़कर कहा कि मिठाई एक किस होती है। वह वहां से भागी तो रास्ता रोककर कहा कि पीएचडी करनी है तो यह नार्मल है, उसे साथ में सोना भी पड़ेगा। वह वहां से आ गई और बहन की शादी होने के कारण किसी को भी कुछ नहीं बताया। प्रिंसिपल ने यह उसके भाई को बताया और इसके बाद उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराई।