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Jaipur काले हनुमानजी की भूमिगत बावड़ी में है पानी का विशाल भंडार

 
Jaipur काले हनुमानजी की भूमिगत बावड़ी में है पानी का विशाल भंडार
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर लात्मक बावड़ियों के लिए प्रसिद्ध गुलाबी नगर में काले हनुमानजी की पाताल तोड़ बावड़ी में आज भी जल का अथाह भंडार है। आमेर रोड पर ग्रामीण पुलिस लाइन के पीछे स्थित यह बावड़ी अश्वमेध यज्ञ के बड़े धार्मिक अनुष्ठान की गवाह भी रही है। इसके बारे में यह किंवदंती चर्चित रही है, कि अश्वमेध यज्ञ के लिए बावड़ी को गायों के देशी घी से भरा गया था। पौने तीन सौ साल पुरानी बावड़ी में चूने के लदाव की छतों के बने बरामदे और चांदनी किसी महल से कम नहीं लगते हैं। इस के जल से टकराकर शरीर को छूने वाली ठंडी बयार से मन मयूर नाचने लगता है।

काले हनुमान मंदिर प्रशासन का बावड़ी के विकास पर पूरा ध्यान होने की वजह से इसका ऐतिहासिक स्वरूप आज भी पहले जैसा दिखाई देता है। मंदिर में बारह राशियों के प्रतीक बारह द्वार के अलावा नौ ग्रहों के नौ खंड एवं सूर्य स्थान भी तंत्र सिद्धि शास्त्र का अनूठा उदाहरण है। पूर्वमुखी रघुनाथ मंदिर में धनुष धारण किए भगवान राम के साथ भाई लक्ष्मण व सीता जी विराजमान हैं। हनुमान वाटिका में आम आदमी का प्रवेश निषेध है। मान्यता रही है कि वाटिका में हनुमानजी भ्रमण करते हैं। अश्वमेध यज्ञ के समय बंगाल से आए ब्राह्मण परिवार की आठवीं पीढ़ी के महेश शर्मा मंदिर के महंत हैं।कसौटी के काले पत्थर की दक्षिण मुखी मूर्ति अहिरावण से युद्ध करने के स्वरूप में है। हनुमान जी के हाथ में गदा व पैरों में चांदी का कड़ा है। पुष्य नक्षत्र में शनिवार व मंगलवार को ही मूर्ति का निर्माण होता था। एक किंवदंती यह भी है कि अश्वमेध यज्ञ के समय मंदिर महंत की प्रार्थना पर हनुमानजी कैलाश पर्वत पर स्थित मानसरोवर झील का पवित्र जल लेकर आए थे। सवाई ईश्वरी सिंह के समय युद्ध के दौरान मराठा सेना का जयपुर में प्रवेश रोकने के लिए ईश्वर सिंह ने मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करवाया था ।