Jaipur राजस्थान की दो बड़ी सरकारी यूनिवर्सिटी एसीबी के रडार पर
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जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान में सबसे पहले स्टेट यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (सम्स) लागू करने वाली सुखाड़िया यूनिवर्सिटी उदयपुर और राजस्थान टेक्नीकल यूनिवर्सिटी कोटा के लिए दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। दरअसल, इस सिस्टम की खरीद को लेकर एसीबी ने तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। आरटीयू की ओर से रिपोर्ट भेज भी दी गई है। दोनों यूनिवर्सिटीज के सम्स को लागू करने के तरीके को खंगाला तो कई गड़बड़ियां सामने आई हैं।
RTU कोटा; सबसे पहले सम्स लागू किया
आरटीयू ने 20 दिसम्बर 2022 को सुविवि के टेंडर पर वर्कऑर्डर दिया, जबकि आरटीपीपी रूल 48 के अनुसार टेंडर की 6 महीने की वैलिडिटी बहुत पहले ही समाप्त हो गई थी। आरटीयू में पिछली एजेंसी जिस काम को लाखों रुपए में कर रही थी, उस काम के लिए आरटीयू ने 9 करोड़ से ज्यादा का वर्कऑर्डर दिया। आरटीयू के परीक्षा विभाग की आंतरिक रिपोर्ट में खुद यह बात कही गई कि पुरानी एजेंसी के मुकाबले नई एजेंसी बेसिल की दरें 3 से 4 गुना तक ज्यादा हैं। {आरटीयू में जो काम पहले लगभग 40 रुपए प्रति स्टूडेंट की दरों पर होता था, वो अब नए वर्कऑर्डर में लगभग 250 रुपए प्रति स्टूडेंट की दर पर हो रहा है।
कुलपति बोले : दूसरी यूनिवर्सिटी के टेंडर पर वर्कऑर्डर दे सकते हैं
आरटीयू कुलपति एसके सिंह ने कहा कि हम टेक्नीकल यूनिवर्सिटी हैं तो हम सबसे पहले करेंगे। वीसी कॉर्डिनेशन कमेटी में सुविवि को नोडल बनाया गया। उन्होंने टेंडर किया और वही सबको लागू करना था। फाइनेंस का परमिशन गर्वनर ऑफिस ने लिया हुआ है। मुझे टेंडर का पता नहीं, वर्क ऑर्डर दिया है, अब टेंडर होगा। जो गर्वनर हाउस से कुलाधिपति बताएंगे उसी को दिया जाएगा। बेसिल ही हमारा आईयूएमएस कर रहा था। आरटीपीपी से हमें कोई मतलब नहीं है।
सुविवि : 3 जून 2023 को हुई बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में इसे रिजेक्ट कर दिया गया था, क्योंकि टेंडर अपनी अवधि पूरी होने के कारण डेड हो गया था। इसके बावजूद नई कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने बिना नया टेंडर किए 21 सितम्बर 2023 को वर्कऑर्डर दे दिया। बैठक में सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वित्त नियंत्रक ने कहा था कि आरटीपीपी के रूल 48 के तहत एक तो टेंडर डेड हो गया है। रूल 73 के तहत टेंडर में स्कोप ऑफ वर्क स्पष्ट नहीं है। इस टेंडर के आधार पर वर्कऑर्डर नहीं दिया जा सकता। -इसी तरह वित्त नियंत्रक ने इसी बैठक में स्पष्ट किया था कि सुखाड़िया के अधीनियम में किसी और यूनिवर्सिटी के लिए टेंडर करने का कोई प्रावधान नहीं है। नए वर्कऑर्डर में जो काम 283 रुपए प्रति स्टूडेंट हो रहा है, यह काम सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में पहले 180 रुपए प्रति स्टूडेंट होता था।