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Jaipur हिन्दुस्तान जिंक और सीमेंट उद्योग से राजस्थान को मिल रहा राजस्व

 
Jaipur हिन्दुस्तान जिंक और सीमेंट उद्योग से राजस्थान को मिल रहा राजस्व
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर  राजस्थान में तमाम खनिज संपदा होने के बाद भी राज्य सरकार की आय में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। अभी खान विभाग को राजस्व मिल रहा है, उसमें भी 21 बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी आधे से ज्यादा की है। पिछले साल खान विभाग ने करीब 7460 करोड़ का राजस्व जुटाया, इसमें बड़ी कंपनियों ने करीब 4000 करोड़ का राजस्व दिया। प्रदेश में तमाम कीमती खनिज ऐसे हैं, जिनका अभी तक खनन चालू नहीं हो सका है। इनमें सोना, पोटाश सहित कई हैं। इनके खनन के बाद राजस्व काफी बढ़ जाएगा।

प्रदेश में 81 प्रकार के मिनरल की खोज हो चुकी है, लेकिन इनमें से अभी तक 57 प्रकार के खनिजों का ही खनन हो पा रहा है। सीमेंट उत्पादन में जरूर राजस्थान पहले पायदान पर पहुंच रहा है। राजस्व भी जिंक के बाद सीमेंट कंपनियों से ही राज्य सरकार को मिल रहा है। वैसे प्रदेश में अभी 17 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी खानें चल रही हैं। जिंक के खनन से सबसे ज्यादा सरकार को राजस्व मिल रहा है। गत वित्तीय वर्ष में ही जिंक खनन से करीब 2641 करोड़ का राजस्व मिला है। खान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सीसा, जस्ता, चांदी, जिप्सम, सोपस्टोन, बॉल क्ले, कैल्साइट, रॉक फॉस्फेट, फेल्डस्पार, काओलिन, कॉपर, वोलास्टोनाइट आदि खनिजों के उत्पादन में राज्य का एकाधिकार है। देश में खनिज उत्पादन में प्रदेश की करीब 12 फीसदी हिस्सेदारी है।

राज्य में मैसर्स हिन्दुस्तान जिंक लि., श्री सीमेंट, अल्ट्राट्रेक सीमेंट लि., अंबुजा सीमेंट, सिद्धी विनायक सीमेंट, जे.के. लक्ष्मी सीमेंट, बिरला सीमेंट, जे.के. सीमेंट, वंडर सीमेंट, लाफार्ज इंडिया, एसीसी सीमेंट, मंगलम सीमेंट, त्रिनेत्र सीमेंट लि., उदयपुर सीमेंट वर्क्स, बीएलएमसीएल, जिन्दल सा लि., मै. एफसीआई अरावली जिप्सम एण्ड मिनरल्स लि., नैवेली लिग्नाईट कॉर्पोरेशन, वी.एस. लिग्नाईट पॉवर प्रा.लि., एफसीआई, एम डब्ल्यू माइंस और आरएसएसएम लिमिटेड से करीब 4 हजार करोड़ का राजस्व मिल रहा है।