Jaipur चित्र, त्रि-स्तरीय शिक्षण तकनीक और जर्मन अवधारणाएँ शिक्षा को बना रही आसान
प्रैक्टिकल नॉलेज: शिक्षिका गुरप्रीत कौर ने बताया कि उनके स्कूल में न तो कोई किताबें होती हैं और न ही कोई परीक्षा होती हैं। बच्चे जो कुछ भी देखते और सीखते हैं, उसके बारे में अपनी खुद की किताबें बनाते हैं। स्टूडेंट्स को जर्मन कॉन्सेप्ट की पद्धति से पढ़ाया जाता है। छोटे बच्चों को रटाने की बजाय प्रैक्टिकल करके सिखाया जाता है। बच्चों से कुकिंग प्रैक्टिस, बुनाई, फार्मिंग, पोएट्री, क्रोशिया, फ्लूट बजाना, क्लासिकल म्यूजिक वुड वर्क की एक्टिविटीज कराई जाती हैं, ताकि उनका प्रैक्टिकल और अकादमिक ज्ञान बढ़े। बुक्स से बच्चों का किताबी ज्ञान बढ़ता हैं, लेकिन प्रैक्टिकल टास्क से वे नई चीजें सीखते हैं।
शिक्षिका सोनम पुरोहित ने बताया कि कार्यों को आसान बनाने के बजाय सीखने की प्रक्रिया को मनोरंजक और आकर्षक बनाने पर ध्यान देना चाहिए। शिक्षक बच्चों की रूटीन एक्टिविटीज को आनंदायक अनुभवों में बदल रहे हैं। यह प्रकिया थिंकिंग, फीलिंग और विल्लिंग यानी इच्छा का मिश्रण होती हैं। इसे थ्री फोल्ड लर्निंग प्रोसेस भी कहा जाता है। जहां बच्चों की रूटीन एक्टिविटीज को फन एक्टिविटी में बदला दिया जाता है। कक्षा में एब्स्ट्रैक्ट कॉन्सेप्ट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें इमेजेज और चॉकबोर्ड ड्राइंग का उपयोग होता है। इससे शिक्षा को यादगार बनाया जा सकता है।