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Jaipur पैदल चलने का अधिकार गुलाबी नगरी की जरूरत, लेकिन योजना में फुटपाथ नहीं

 
Jaipur पैदल चलने का अधिकार गुलाबी नगरी की जरूरत, लेकिन योजना में फुटपाथ नहीं
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर   राजधानी में पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों की सुरक्षा भगावन भरोसे हैं। राजधानी जयपुर के लोगों को राइट टू वॉक (चलने का अधिकार) की जरूरत है। यहां की प्लानिंग में फुटपाथ नहीं है। साइकिल ट्रैक ने भी कागजों में ही दम तोड़ दिया। पैदल यात्री की सुगम राह के लिए सुरक्षा, निरंतरता, आराम और जीवंतता जैसे सिद्धांतों पर काम करने की जरूरत पड़ेगी। मौजूदा स्थिति देखें तो वाहनों के दबाव के कारण कई प्रमुख सडक़ेंचौड़ी कर दी गईं। इससे फुटपाथ ही गायब हो गए। ऐसे में राहगीर और साइकिल सवारों के लिए वाहनों के बीच में चलना किसी मुसीबत से कम नहीं होता। शहर में कई बार हादसे भी हुए हैं। रस्म अदायगी के तौर पर एक दो जगह साइकिल ट्रैक तो बनाए गए, लेकिन उन पर चार पहिया वाहनों की पार्किंग होने लगी।

आखिर कहां चले राहगीर?

– सडक़ पर राहगीरों का हिस्सा 16.06 प्रतिशत है। कहीं फुटपाथ नहीं हैं और जहां फुटपाथ है, वहां पर राहगीरों के लिए राह सुगम नहीं है।
– साइकिल सवारी का ग्राफ 6.01 प्रतिशत ही रह गया है। जबकि, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत साइकिल स्टैंड बनाए गए। कुछ जगह ट्रैक बनाने की घोषणा भी की गई, लेकिन साइकिल ट्रैक बन ही नहीं पाए।

बाकी का ये हाल

– बस और मिनी बस का हिस्सा 18.49 प्रतिशत है।
– कार, टैक्सी की सुविधा का हिस्सा 18.71 प्रतिशत है
– दोपहिया वाहन का 31.70 प्रतिशत हिस्सा है
– ऑटो रिक्शा का 8.61 प्रतिशत हिस्सा है
– मेट्रो सुविधा का हिस्सा 0.42 प्रतिशत है

कहां कितना चौड़ा होना चाहिए फुटपाथ
– रिहायशी 1.8 मीटर
– व्यावसायिक 2.5 मीटर
– व्यावसायिक (ज्यादा भीड़ वाला) 4.0 मीटर
(इंडियन रोड कांग्रेस के मुताबिक)

– फुटपाथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक पूरी तरह व्यवस्थित और छायादार होना चाहिए। ताकि राहगीर बिना किसी थकावट और हर मौसम में इसका उपयोग कर सकें।