जयपुर नगर निगम खुद ही बना जर्जर इमारतों की मिसाल, डिप्टी मेयर ऑफिस की गिरी छत, टपक रहीं दीवारों का सामने आया फुटेज
जयपुर नगर निगम हेरिटेज इन दिनों मानसून के दौरान शहर की जर्जर और खतरनाक इमारतों को चिन्हित कर उन्हें सील और ध्वस्त करने की तैयारी में जुटा हुआ है। निगम के अनुसार, शहर में कई ऐसी पुरानी इमारतें हैं जो बारिश के दौरान गिरने का खतरा बन चुकी हैं। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए जोन स्तर पर सर्वे कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसमें नगर निगम के अधिकारी संभावित खतरनाक भवनों की सूची तैयार कर रहे हैं।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस संस्था को शहर की जर्जर इमारतों को गिराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसका अपना मुख्यालय ही जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। जयपुर नगर निगम हेरिटेज के मुख्यालय की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वहां पर कार्यरत कर्मचारियों को भी जान-माल का खतरा बना हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, निगम मुख्यालय की दीवारें जगह-जगह से सीलन से लथपथ हैं। बरसात के चलते इन दीवारों से पानी टपक रहा है और कई कमरों में काम करना मुश्किल हो गया है। सबसे गंभीर स्थिति डिप्टी मेयर के कार्यालय की है, जहां की सीलिंग हाल ही में गिर गई। सौभाग्य से इस दौरान कोई कर्मचारी वहां मौजूद नहीं था, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
मुख्यालय भवन की छत से पानी टपकने की समस्या भी लगातार बनी हुई है। बरसात के मौसम में कार्यालय के भीतर बाल्टी और टब रखकर पानी जमा करना आम हो गया है। कर्मचारियों के अनुसार, निगम के शीर्ष अधिकारियों को इस समस्या की जानकारी पहले से है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।
वहीं कर्मचारियों का कहना है कि निगम जब खुद की इमारत की देखरेख नहीं कर पा रहा है, तो वह शहर की अन्य जर्जर इमारतों की स्थिति को कैसे सुधार पाएगा, यह बड़ा सवाल है। निगम मुख्यालय की इस बदहाल स्थिति से नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
इस पूरे मामले पर नगर निगम हेरिटेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "मुख्यालय भवन काफी पुराना है और इसकी मरम्मत की योजना पहले से प्रस्तावित है। तकनीकी कारणों और बजट स्वीकृति की प्रक्रिया में देरी के चलते कार्य शुरू नहीं हो पाया। अब जल्द ही आवश्यक मरम्मत कार्य किया जाएगा।"
गौरतलब है कि जयपुर जैसे ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी में निगम की लापरवाही इस रूप में सामने आना न केवल अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है, बल्कि शहर की छवि पर भी प्रतिकूल असर डाल सकता है। जनता अब उम्मीद कर रही है कि नगर निगम अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए पहले खुद की व्यवस्था को दुरुस्त करे, फिर शहर की ओर ध्यान दे।
