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Jaipur 30 दिन में पट्टा करना होगा जारी, देरी करने वालों पर कार्रवाई

 
Jaipur 30 दिन में पट्टा करना होगा जारी, देरी करने वालों पर कार्रवाई
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर राजधानी के परकोटा क्षेत्र में भवन निर्माण स्वीकृति में अब देरी नहीं होगी। एक माह के भीतर निर्माण स्वीकृति जारी करनी होगी और देरी होने पर संबंधित अधिकारी और कर्मचारी को कारण बताना होगा। समय पर जवाब नहीं देने और मौका निरीक्षण समय पर नहीं करने वालों पर कार्रवाई भी होगी। दरअसल, लगातार अवैध निर्माणों और स्वीकृति में हो रही मनमानी के चलते निगम मुख्यालय ने नई एसओपी (मानक संचालक प्रक्रिया) जारी की है। यह एसओपी वाल्ड सिटी बायलॉज-2020 और वाल्ड सिटी बिल्डिंग रेग्युलेशनंस-2022 के तहत जारी की जाएगी। इस एसओपी की खास बात यह है कि एक दिन से लेकर पांच दिन तक ही फाइल को रोका जा सकेगा। हैरिटेज नगर निगम सीमा क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध निर्माण चल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक किशनपोल जोन में 70 और आदर्श नगर जोन में 20 और हवामहल-आमेर जोन में 10 से अधिक अवैध निर्माण चल रहे हैं। हालांकि, पिछले तीन माह में निगम ने करीब 100 अवैध निर्माण सील और ध्वस्त भी किए हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं क्योंकि सीलिंग की कई कार्रवाई तो निगम ने उस समय की, जब निर्माण कार्य पूरा हो चुका था।

हैरिटेज सेल: नहीं कर रही सही काम

विश्व विरासत सूची में शामिल राजधानी के परकोटा क्षेत्र को बचाने के लिए हैरिटेज नगर निगम में हैरिटेज सेल गठित की गई, लेकिन यह सही तरह से काम नहीं कर रही है। सेल में नौ लोगों की जरूरत है, लेकिन यहां काम के लिए पांच लोग भी नहीं है। यहां निर्माण स्वीकृति जोन उपायुक्त अपने स्तर पर ही जारी कर रहे हैं और निर्माण कार्य में मनमानी हो रही है।

ऐसे होगा काम

निर्माण स्वीकृति से संबंधित कागजातों की फाइल तैयार कर जोन उपायुक्त को देनी होगी। जोन उपायुक्त जेईएन (बिल्डिंग) को मौका निरीक्षण के लिए फाइल भेजेगा। एक दिन में मौका निरीक्षण होगा। फिर उपायुक्त भूखंड स्वामित्व से लेकर पट्टा होने और न होने की जांच करवाएगा। इसके लिए दो दिन का समय निर्धारित किया गया है।

सिटी सर्वे रिकॉर्ड के आधार पर सहायक नगर नियोजक भूखंड के स्वामित्व की जांच कर फाइल जोन उपायुक्त को भेजेंगे।

इसके बाद फाइल डीसी जोन के एटीपी को भेजेंगे और उसके बाद वापस डीसी के पास फाइल आएगी। जोन डीसी फाइल को हैरिटेज सेल में भेजेंगे।

हैरिटेज सेल तकनीकी परीक्षण करवाएगी। पांच दिन के अंदर बिल्डिंग बायलॉज के अनुरूप स्वीकृति जारी की जाएगी।

इसके बाद फीस की गणना होगी। उपायुक्त निर्माण स्वीकृति पत्र जारी करेंगे और उसके बाद भूखंडधारी को अनुमति दे दी जाएगी।