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Jaipur नाबालिगों को भगाने के लिए लॉरेंस के गुर्गे ने बनाया प्लान, अब तक 4 गिरफ्तार

 
Jaipur नाबालिगों को भगाने के लिए लॉरेंस के गुर्गे ने बनाया प्लान, अब तक 4 गिरफ्तार 

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर के बाल सुधार गृह से 22 नाबालिगों के भागने के मामले में पुलिस ने 2 को पकड़ लिया है। दोनों के परिजन उन्हें वापस सुधार गृह लेकर पहुंच गए हैं। मामले में अब तक कुल 4 नाबालिगों को पकड़ा जा चुका है। 18 की तलाश की जा रही है। अब तक की जांच में सामने आया है कि सुधार गृह के वार्ड नंबर 1 में रहने वाले गैंगस्टर लॉरेंस के गुर्गे ने भागने की पूरी प्लानिंग की थी। जो जयपुर के जी क्लब पर फायरिंग के मामले में बंद है। लॉरेंस के गुर्गे को पकड़ने के लिए एक टीम हरियाणा भी भेजी गई है।

वहीं, ये भी सामने आया है कि ये वारदात शनिवार को ही रुक सकती थी। जब डीसीपी ईस्ट इस बाल सुधार गृह की जांच करने पहुंचे थे। लेकिन इस स्टोर रूम का दरवाजा नहीं खुल पाया था। डीसीपी ईस्ट ज्ञानचंद यादव ने बताया- अब तक की जांच में सामने आया है कि बैरक नम्बर 1 में जी क्लब पर फायरिंग करने वाला लड़का 5 नाबालिगों के साथ रहता था। करीब 15 दिन पहले से इन लोगों ने भागने की प्लानिंग बनाई। जो युवक पकड़े गए उन्होंने बताया कि वह दूसरी बैरक में रहते थे। प्लानिंग किस ने और कैसे बनाई इसकी उन्हें जानकारी नहीं हैं। एक नम्बर बैरक में रहने वाला कोई भी नाबालिग अभी तक पकड़ा नहीं गया है। वहीं, सिक्योरिटी गार्ड से भी पूछताछ की जा रही है।


सिक्योरिटी गार्ड पर शक की कई वजह

ज्ञानचंद यादव ने बताया- सिक्योरिटी गार्ड पर शक करने की कई वजह हैं। इसमें मुख्य वजह है कि स्टोर में कटर चला 5 रोड काटी गईं। कटर की आवाज इतनी तेज और पैनी होती हैं कि 300 से 400 मीटर तक आराम से सुनाई देती है। यह आवाज सुनाई नहीं देने के पीछे का कारण मिली भगत है। वहीं, सभी सिक्योरिटी गार्ड अस्थाई हैं। इस कारण से बाल अपचार उन्हें डरा देते हैं। प्रलोभन देकर उन्हें अपने साथ कर लेते हैं। बाल संप्रेक्षण गृह के अधीक्षक मनोज गहलोत ने बताया की इस परेशानी को लेकर कई बार विभाग को प्रस्ताव भी भेजा। अब तक स्थाई सिक्योरिटी गार्ड नहीं मिले।

डीसीपी ने कहा नहीं खोला सर्च के दिन ताला

शनिवार को डीसीपी ईस्ट ने अपनी पुलिस टीम के साथ बाल सुधार गृह का निरीक्षण किया था। इस दौरान डीसीपी ईस्ट बाल सुधार गृह में नाबालिगों से मिले थे। उनकी परेशानियों के बारे मे जाना था। सुरक्षा के इंतजाम को भी देखा था। इस दौरान हर बैरक और रूम में जाकर डीसीपी ने चैक किया। सीसीटीवी कैमरों की भी जांच की गई। जब डीसीपी ईस्ट और उनकी टीम लॉक लगे हुए उस कमरे (जहां से नाबालिग सोमवार को भागे) के पास पहुंची। वह कमरा बंद था। कारण पूछा तो पता चला की यह स्टोर है। खुलवाने को कहा तो चाबियों को गुच्छा लाया गया। चाबी नहीं मिली। अगर यह कमरा उस दिन खुल जाता तो अंदर से कटे हुए लोहे की रोड पुलिस को दिख जाती। इससे इन नाबालिगों का प्लान फेल हो जाता।

चाबी किस के पास रहती नाबालिग तक कैसे पहुंची

पुलिस के पास अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं हैं। जब स्टोर में लॉक लगा हुआ है। चाबी अधीक्षक के पास रहती है। यह चाबी कैसे इन नाबालिग बदमाशों तक पहुंची। किसने चाबी इन नाबालिगों को दी। चाबी के साथ-साथ कटर इन तक कैसे पहुंचा। इन सवालों के जवाब अब तक पुलिस के पास नहीं हैं।