Jaipur ग्रेटर ई-फाइलिंग में फिसड्डी, 1 फाइल निकालने में लग रहे सबसे ज्यादा 727 घंटे
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर कम समय और पारदर्शिता के साथ सरकार और जनता का काम करने के उद्देश्य से इसी साल नगरीय निकायों में सबसे पहले जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने ई-फाइलिंग की शुरुआत की थी। लेकिन कुछ अधिकारियों और कार्मिकों ने इस सिस्टम को पूरी तरह से बिगाड़ रखा है। निगम कुछ अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें फाइल निबटाने में 169 घंटे से लेकर 727 घंटे तक लग रहे हैं। वहीं उपायुक्त हैडक्वार्टर मात्र 15 मिनट में ही एक फाइल निकाल रहे हैंं।यह तो तब है, जब फाइल इन्हें ऑनलाइन सिस्टम पर ही दिख रही हैं। नगर निगम ग्रेटर में 17728 ई-फाइलें हैं। यदि एवरेज फाइल डिस्पोजल की बात करें तो 33.38 घंटे आ रहा है, जबकि ग्लोबल डिस्पोजल टाइम 34 घंटे आ रहा है। आमजन के काम को देरी से करने में सबसे आगे प्लानिंग जोन फर्स्ट के अधिकारी-कर्मचारी हैं। जहां आमजन को उनके आवासों या जमीन के पट्टे जारी करने से लेकर, नाम ट्रांसफर समेत अन्य जरूरी काम किए जाते हैं।
नगर निगम मुख्यालय स्थित प्लानिंग फर्स्ट सेक्शन के अधिकारियों-कर्मचारियों को हर एक फाइल क्लीयर करने में एक सप्ताह या उससे भी ज्यादा दिनों का समय लग रहा है। यहां फाइलों के डिस्पोजल का एवरेज टाइम सबसे ज्यादा 190 घंटे 33 मिनट का आ रहा है। जबकि पशु प्रबंधन शाखा में फाइलों का डिस्पोजल टाइम 120 घंटे लग रहे हैं। वहीं, मेयर सेक्शन से 46 घंटे में एक फाइल निकल रही हैं।यहां कुछ घंटों में फाइल डिस्पोज हो रही; वहीं, नगर निगम ग्रेटर में टॉप सीट पर बैठे अफसर फाइलों को कुछ मिनट और घंटों में ही डिस्पोज कर रहे हैं। आयुक्त रूक्मणी रियाड़ के यहां औसत डिस्पोजल 4:30 घंटे, डिप्टी कमिश्नर मुख्यालय का औसत टाइम पौने 5 घंटे, जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन सेंक्शन का 1 घंटे और अधिशासी अभियंता प्रोजेक्ट फर्स्ट के यहां डिस्पोजल टाइम 1:30 घंटे का आ रहा है।
ये अधिकारी कुछ मिनटों में ही निकाल रहे फाइल; इधर, सबसे कम समय में फाइल निकालने वाले अधिकारियों की सूची में पहले नंबर पर उपायुक्त हैडक्वार्टर जनार्दन शर्मा और एनयूएलएम उपायुक्त संतलाल मक्कड़ हैं। इनके यहां औसत डिस्पोजल टाइम 15 मिनट का आ रहा है। जबकि अतिरिक्त आयुक्त सीमा कुमार और उनके स्टाफ के यहां हर फाइल औसतन 22 मिनट में क्लीयर हो रही है।15 अधिकारी-कार्मिक ले रहे हैं 169 से 727 घंटे; हाल ही में रिव्यू में देखा गया है कि 15 अधिकारी और कार्मिक ऐसे हैं, जिनका फाइल डिस्पोजल टाइम 169 घंटे से लेकर 727 घंटे तक आ रहा है। जिन्हें नोटिस भी दिए गए हैं। इनके जबाव से संतुष्ट नहीं होने पर उन्हें सेक्शन से हटाकर दूसरी जगह लगाया जाएगा।
ई-फाइल एक महत्वपूर्ण क्रांति है और हम निगम की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए काम कर रहे हैं
"सभी वरिष्ठ अधिकारी उचित समय सीमा का पालन कर रहे हैं, लेकिन कुछ जूनियर अधिकारियों ने इसका पालन नहीं किया है। उन्हें आवश्यक नोटिस जारी किए गए हैं। जिनका जवाब संतोषजनक नहीं होगा, उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।"
ऐसे अधिकारी-कर्मचारी जो ले रहे हैं सबसे ज्यादा टाइम
पशु प्रबंधन शाखा में पशु चिकित्सा अधिकारी हरेंद्र सिंह चिराणा के सेक्शन में आने वाली फाइल को क्लीयर करने में 73 घंटे लग रहे हैं। विजलेंस में नियुक्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अजय कुमार इस मामले में दूसरे नंबर पर हैं। इनके यहां 21 घंटे से ज्यादा समय में फाइल डिस्पोज हो रही हैं। वहीं अकाउंट सेक्शन में सुनील सोनी का फाइल डिस्पोजल टाइम 18 घंटे, झोटवाड़ा जोन में इंजीनियर नंद कुमार अग्रवाल को 16 घंटे लग रहे हैं।प्लानिंग शाखा में एक जूनियर असिस्टेंट जितेंद्र कुमार माथुर तो ऐसे हैं, जिनके पास से एक फाइल 727 घंटे से भी ज्यादा समय में निकल रही है। इसी कर्मचारी के कारण पूरे सेक्शन का डिस्पोजल टाइम बिगड़ रहा है। दूसरे नंबर पशु प्रबंधन में जूनियर असिस्टेंट प्रवीण माथुर फाइल निकालने में 397 घंटे से ले रहे हैं।