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Jaipur खिलेगी पूनम की चांदनी, धरा पर आज बरसेगा अमृत, वीडियो देखें शरद पूर्णिमा पर पूजा विधि

 
Jaipur खिलेगी पूनम की चांदनी, धरा पर आज बरसेगा अमृत, वीडियो देखें शरद पूर्णिमा पर पूजा विधि

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर आश्विन मास की पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) पर बुधवार को सोलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा धवल किरणों से धरती पर अमृत वर्षा करेगा। घरों, मंदिरों व अन्य स्थानों पर चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाएगी। शरदोत्सव के तहत मंदिरों में ठाकुरजी को धवल पोशाक धारण कराकर सफेद पुष्पों से शृंगार किया जाएगा। चांदी के पात्र में खीर का भोग भी लगाया जाएगा। श्रद्धालुओं व अस्थमा रोगियों को आरोग्यकारी खीर का वितरण किया जाएगा। विभिन्न संस्थाओं की ओर से भी कार्यक्रम होंगे।

ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि चंद्रमा की रोशनी औषधीय गुणों से भरपूर रहती हैं। इसमें खीर को रखने की परंपरा है, जिससे खीर में औषधीय गुण आते हैं। खीर की मिठास से ग्लूकोज मिलने से व्यक्ति को तुरंत ऊर्जा मिलती है। चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक बढ़ाने की क्षमता होती है व इससे विषाणु दूर रहते हैं। गाय के दूध से बनी खीर का सेवन लाभदायक है। क्योंकि खीर में दूध, चीनी और चावल के कारक चंद्रमा है। इस खीर को खाने से संबंधित जातक की कुंडली में चंद्रमा का दोष दूर होता है। मन की चंचलता समाप्त होकर व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।

सुनहरे गोटे वाली सफेद पोशाक कराई जाएगी धारण

गोविंददेवजी मंदिर में सुबह ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। उन्हें सुनहरे गोटे की सफेद पार्चा जामा तथा विशेष अलंकार व मुकुट धारण करा विशेष शृंगार किया जाएगा। विशेष संध्या झांकी में शाम 7.15 से 7.30 बजे तक खाट रखी जाएगी। इसमें शतरंज, चौसर की बाजी सजाई जाएगी। गाय, धूप दान, इत्र दान व पान दान भी रखा जाएगा।

यहां भी होंगे आयोजन

गोपीनाथ मंदिर, सरस निकुंज, राधा दामोदर, मदन गोपाल, लाड़लीजी, अक्षयपात्र, अक्षरधाम, इस्कॉन मंदिर, सहित अन्य सभी मंदिर।

आज बनने वाले योग : सर्वार्थसिद्धि, रवि, राज और ध्रुव योग।

ज्योतिषाचार्य पं.सुधाकर पुरोहित और आचार्य हिमानी शास्त्री

श रद पूर्णिमा को महारास की रात भी कहा जाता है। किवंदती है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने इस रात्रि गोपियों के साथ महारास किया था। इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा, जागरी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरुड़ पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। यह वर्ष की 12 पूर्णिमा तिथियों में सबसे विशेष भी है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जिसे अमृत काल भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है।