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Jaipur श्रुत स्कंध पूजा विधान के बाद निकलेगी जिनवाणी रथ यात्रा

 
Jaipur श्रुत स्कंध पूजा विधान के बाद निकलेगी जिनवाणी रथ यात्रा
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी मंगलवार को श्रुत पंचमी के रूप में मनाई जाएगी। ज्ञान की आराधना के महापर्व पर दिगंबर जैन धर्मावलंबी भक्ति में लीन रहेंगे। शहर के जैन मंदिरों में जिनवाणी सजाओ प्रतियोगिता, जिनवाणी की पूजा व श्रुत स्कंध पूजा विधान होगा। जिनवाणी रथ यात्रा भी निकाली जाएगी। राजस्थान जैन साहित्य परिषद्, जयपुर के निर्देशन में सुबह सात बजे घी वालों का रास्ता, दड़ा मार्केट स्थित जैन मंदिर से मनिहारों का रास्ता स्थित जैन मंदिर तक शोभायात्रा निकाली जाएगी। सांगानेर संघीजी जैन मंदिर में धर्मसभा के साथ ही कई मंदिरों में संगोष्ठियां भी होंगी। परिषद् की ओर से भी कई कार्यक्रम होंगे। मंदिरों, घरों में रखे हुए प्राचीन ग्रंथों, जिनवाणी पुस्तकों तथा शास्त्रों की साफ सफाई कर और पूजा अर्चना की जाएगी। मंदिरों में पालकी में जिनवाणी माता को विराजित कर जैन ध्वज के साथ शोभायात्रा निकालकर पूजा अर्चना की जाएगी। पालकी को मूल वेदी व आदिनाथ भगवान के समक्ष विराजित कर षट्खंडागम ग्रंथ के सोलह खंडों की पूजा होगी।

जैन धर्म में देव, शास्त्र एवं गुरु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान महावीर के दर्शन को पहली बार लिखित ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत किया गया था। पहले भगवान महावीर केवल उपदेश देते थे और उनके प्रमुख शिष्य (गणधर) उसे अन्य लोगों को समझाते थे, क्योंकि उस दौर में महावीर की वाणी को लिखने की परंपरा नहीं थी। उसे सुनकर ही स्मरण किया जाता था इसीलिए उसका नाम ’श्रुत’ था। श्रुत पंचमी के दिन जैन धर्मावलंबी मंदिरों में प्राकृत, संस्कृत, प्राचीन भाषाओं में हस्तलिखित प्राचीन मूल शास्त्रों को बाहर निकालकर, शास्त्र-भंडारों की साफ-सफाई करके, प्राचीनतम शास्त्रों की सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें नए कवर में लपेटकर सुरक्षित किया जाता है तथा इन ग्रंथों को भगवान की वेदी के समीप विराजमान करके उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। षट्खंडागम (छ: भागों वाला ग्रंथ) दिगंबर जैन संप्रदाय का सर्वोच्च और सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ है।