Jaipur सरकारी अंग्रेजी स्कूलों को बंद कर हिंदी में लाने की तैयारी
![Jaipur सरकारी अंग्रेजी स्कूलों को बंद कर हिंदी में लाने की तैयारी](https://aapkarajasthan.com/static/c1e/client/91529/uploaded/11be4238c86a8f8a4fb17eaf57172a9d.png?width=968&height=500&resizemode=4)
IAS के बच्चे भी इन स्कूलों में
जहां व्यवस्थाएं, वहां प्रवेश के लिए सिफारिशें, जहां नहीं, वहां सीटें खाली
यहां खाली सीटें
जयपुर के आंधी स्थित स्कूल में नर्सरी में 25 सीटें हैं, लेकिन 13 खाली रह गईं, क्योंकि सुविधाएं नहीं हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष शेरसिंह चौहान बोले कि सरकार सुविधा मुहैया कराने पर ध्यान दे तो स्थिति बदल जाएगी।
1. जयपुर में मानसरोवर स्थित महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में प्रवेश के लिए माता-पिता भागदौड़ करते मिले। पता चला कि 54 सीटों के लिए 1880 आवेदन आ गए हैं। कई अभिभावक तो भारी-भारी एप्रोच तक लगवा रहे हैं। 2. जयपुर के ही गांधीनगर स्थित अंग्रेजी स्कूल की सभी 670 सीटें फुल हैं। 55 सीटें बढ़ाईं तो 220 आवेदन आ गए। 12 मई की अंतिम तिथि तक आंकड़ा 350 पार होगा। स्कूल प्रशासन कहता है कि यहां 500 सीटें भी कम पड़ेंगी। 3. धौलपुर के शेरपुर स्थित स्कूल में 5वीं तक 287 बच्चे पढ़ रहे हैं। प्राचार्य राजेश शर्मा बताते हैं कि सरकार को इन स्कूलों को बेहतर इंफ्रा देने पर ध्यान देना चाहिए, न कि रिव्यू या निगेटिव फैसले पर। 4. उदयपुर धानमंडी के स्कूल में पिछले सत्र के दौरान 59 सीटों पर एक हजार से ज्यादा आवेदन आए थे। नए सत्र में भी कड़ा मुकाबला है। प्राचार्य के अनुसार प्रवेश के लिए 25-30 अभिभावक हर दिन चक्कर लगाते हैं। बढ़ी सीटें भी कम पड़ रही हैं।
पूर्व व वर्तमान मंत्री बोले- राजनीति हो रही है
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि कांग्रेस सरकार में खोले गए अंग्रेजी स्कूलों का रिव्यू कर रहे हैं। कई राजनीतिक दृष्टि से खोले थे। सरकार उचित निर्णय करेगी। पूर्व शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि गरीब, जरूरतमंद बच्चों को सुलभ अंग्रेजी शिक्षा के उद्देश्य से अंग्रेजी स्कूल खोले थे। अब राजनीतिक दृष्टि से सरकार फैसला करेगी तो हम चुप रहने वाले नहीं हैं। अफसरों के बच्चे निजी अंग्रेजी स्कूलों में हैं तो गरीब बच्चों को सुविधा क्यों नहीं? यह हमारा, आपका मामला नहीं है। सरकार निर्णय लेगी, हमें मानना पड़ेगा।
किताबें छपने के बाद रिव्यू क्यों?
निर्णय होने पर स्थिति स्पष्ट होगी।
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को हिंदी माध्यम बनाने के लिए सरकार ने प्रस्ताव मांगे हैं...
आप बताएं- सरकारी अंग्रेजी स्कूल होने चाहिए या नहीं?
शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूलों को फिर से हिंदी माध्यम में बदलने के प्रस्ताव मांगे हैं। विभाग ने अधिकारियों से इन स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, पढ़ाई के वर्तमान और पूर्व के स्तर का ब्यौरा मांगा है। इन्हें फिर से हिंदी माध्यम करने या अंग्रेजी माध्यम में ही चलाने संबंधी प्रमाण-पत्र भी मांगा है। समीक्षा के बाद इस मॉडल का भविष्य तय होगा। चूंकि सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रदेश के बच्चों के लिए हैं, इसलिए छात्रों-अभिभावकों के सुझाव सबसे ज्यादा जरूरी हैं। अंग्रेजी माध्यम स्कूल क्यों नहीं होने चाहिए?