Jaipur नन्दीश्वर द्वीप महामंडल विधान में देशभर से भक्त कर रहे शिरकत, वीडियो में देखें गलताजी मन्दिर जयपुर का इतिहास
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर अर्हं योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागरससंघ के सान्निधय में मानसरोवर मीरा मार्ग जैन मंदिर में चल रहे जैन धर्म के सबसे बड़े आठ दिवसीय नंदीश्वर द्वीप महामंडल पूजा विधान में बुधवार को मंत्रोच्चार के साथ 972 अर्घ्य चढ़ाए गए। कार्यक्रम में जयपुर सहित देशभर से भक्तों ने शिरकत की। अशोक सेठी ने बताया कि सेक्टर नौ स्थित सामुदायिक केन्द्र पर 52 जिनालयों की स्थापना की गई, जिसमें 5,616 जिनबिम्ब की एक साथ एक जगह पर जयकारों के बीच भगवान के अभिषेक और शांतिधारा की गई। इसके बाद विधान की शुरुआत के साथ ही जिनबिम्ब की पूजा और अर्घ्य चढ़ाए गए। दक्षिण दिशा स्थित चार रतिकर पर्वतों के अर्घ्य चढ़ाए गए। 20 अक्टूबर को समापन पर शोभायात्रा निकलेगी।
समिति के उपाध्यक्ष तेजकरण चौधरी ने बताया कि एक जिनालय में 108 जिनबिम्ब विराजमान हैं। इस तरह से 52 जिनालयों में 5616 जिनबिम्ब के 5616 अर्घ्य चढ़ाए जा रहे हैं। इस मौके पर नन्दीश्वर द्वीप के 5616 जिनबिम्ब के दर्शन एवं परिक्रमा की गई। नंदीश्वर द्वीप यह मध्य लोक का आठवां द्वीप है। इसमें 16 वापियां होती हैं। जिसमें चार अंजन गिरी पर्वत, 16 दधि मुख पर्वत और 32 रतिकर पर्वत सहित कुल 52 पर्वत हैं। प्रत्येक पर्वत पर एक अकृत्रिम चैत्यालय है। जैन धर्म में साल में तीन बार अष्टानिका महापर्व मनाया जाता है। महापर्व के दौरान आठ दिनों तक विशेष पूजा अर्चना की जाती है।मुनि ने विधान में चारों अनुयोगों का वर्णन, देवों के नाम, प्रकार और उनके विमान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जिनबिम्ब के दर्शन से मन में विशुद्धि बनती हैं दर्शन का मन में भाव लाना और दर्शन करने का बड़ा महत्व है।