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Jaipur 5600 गैंग का सदस्य बताकर अवैध हिरासत में रखने का मामाला,जानिए कोर्ट ने क्या कहा

 
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जयपुर न्यूज़ डेस्क,राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, एसीएस होम, डीजीपी, एडीजी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट और करणी विहार थाना अधिकारी को नोटिस जारी कर पूछा है कि याचिकाकर्ता को 5600 गैंग का सदस्य बताकर अवैध हिरासत में क्यों रखा गया. न्यायमूर्ति पंकज भंडारी एवं न्यायमूर्ति भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश अक्षय चौधरी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिये. कोर्ट ने मामले में इन अधिकारियों से पूछा है कि मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर क्यों न रद्द कर दी जाए.

याचिका में अधिवक्ता डॉ. मिथिलेश कुमार व योगेश कुमार ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का 22 अगस्त को करणी विहार थाना क्षेत्र से महिपाल, देवा, सन्नी कुमार व खेम सिंह समेत आठ लोगों ने अपहरण कर लिया था. इस दौरान याचिकाकर्ता के पास 5 लाख रुपये की नकदी और सोने की चेन आदि भी थीं.

अपहरण के बाद इसकी जानकारी राजस्थान पुलिस के सोशल मीडिया पर भी दी गई. जिसके जवाब में राजस्थान पुलिस ने जयपुर पुलिस को टैग कर मामले को देखने को कहा. याचिका में कहा गया कि बाद में मिलीभगत कर उसे करणी विहार थाने को सौंप दिया गया. 24 अगस्त की सुबह पुलिस ने उसे 5600 गैंग का सदस्य बताकर गिरफ्तार कर लिया और दिखाया कि वह डकैती की योजना बना रहा था.

इसके बाद उसे कोर्ट समय पर कोर्ट में पेश करने के बजाय देर रात मजिस्ट्रेट के घर पेश कर पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. अब याचिकाकर्ता न्यायिक हिरासत में है. याचिका में कहा गया कि पुलिस ने उसे अवैध हिरासत में रखा और उसके साथ मिलकर उसे 5600 गिरोह का सदस्य बताकर झूठे मामले में फंसाया. इस मामले में अपहरणकर्ताओं के खिलाफ निचली अदालत में शिकायत भी दर्ज करायी गयी है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि उनके खिलाफ दर्ज फर्जी एफआईआर रद्द की जाये और उनकी गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाये. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.