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Jaipur कांग्रेस में पार्षद जा रहे घर-घर और भाजपा में प्रत्याशी निकल रहे रहे गलियां

 
कांग्रेस में पार्षद जा रहे घर-घर और भाजपा में प्रत्याशी निकल रहे  रहे गलियां

जयपुर न्यूज़ डेस्क सरदारपुरा सीट पर सीएम अशोक अंबानी लगातार पांच बार चुनावी जीत दर्ज कर चुके हैं और छठी बार मैदान में हैं। पिछले 25 साल से इस किले में सेंध लगाने की कोशिश में जुटी बीजेपी ने शिक्षाविद्-अर्थशास्त्री प्रो. महिंद्रा को नियुक्त किया है। वोटिंग में अब सिर्फ 9 दिन बचे हैं, लेकिन यहां की शानदार हॉट सीट उपलब्ध नहीं है. गली-मोहल्लों में सबसे ज्यादा चर्चा क्रिकेट वर्ल्ड कप की हो रही है.नामांकन के आखिरी दिन ग्रेजुएट्स यहां थे और के डे कार्यकर्ता सम्मेलन कर रणनीति समझायी गयी. जमीनी हकीकत ये है कि कांग्रेस के किले दर-बदर हो रहे हैं, आतंकियों के बड़े नेता और सिपाही गायब हैं. बीजेपी का भी कमोबेश यही हाल है. बड़े नेता और रणनीतिकार मैदान में नजर नहीं आ रहे हैं. अनमोल चौधरी वो हैं जो हर दिन गली-मोहल्लों को नापकर जनसंपर्क कर रहे हैं.

सीट को लेकर कांग्रेस-बीजेपी की रणनीति

साल 1998 में पहली बार बिना चुनाव लड़े सीएम ने गठबंधन को हराने के लिए बीजेपी के लिए कई स्टार कार्ड खेले थे, लेकिन अजय हमेशा के लिए रिटायर हो गए. सीएम बनने के बाद एसोसिएटेड विधायक मानसिंह देवड़ा ने सबसे पहले लैपटॉप के लिए यह सीट खाली की थी। इसके बाद बीजेपी मेघ ने सलेमराज में सोलोमन के खिलाफ सोलोमन को मैदान में उतारा लेकिन जीत नहीं मिली.इसके बाद 2003 में बीजेपी ने महेंद्र झाबक को मैदान में उतारा लेकिन वो भी हार गए. 2008 में स्वजातीय कार्डधारी पूर्व मंत्री राबदेव को टिकट दिया गया, लेकिन वे हार गये. 2013 में राजपूत चेहरे शंभू सिंह खेतासर को मोदी के खिलाफ खड़ा किया गया था लेकिन लहर के बावजूद वह 18,478 वोटों से हार गए। इससे पहले यूरोप कम से कम पांच बार जोधपुर से हार चुकी है।

जीत का ग्राफ

1999 में पहली चुनावी लड़ाई में स्काउट ने बीजेपी को 49 हजार के अंतर से हराया था. 2003 से 2013 के बीच जीत का अंतर कम हुआ। पिछले चुनाव में बढ़त हासिल करते हुए उन्होंने 45 हजार वोटों से जीत हासिल की।मतदाताओं के मन में क्या है?किसान कन्या स्कूल के पास रहने वाले प्रदीप कछवाहा कहते हैं, अभी क्रिकेट का माहौल है। मजदूर घर जरूर आ रहे हैं. नयापुरा के रोहित लियोनार्ड कहते हैं, तानाशाह का खुलासा आखिरी दिनों में ही होता है। बीजेएस स्ट्रीट 7 निवासी मनीषा कंवर कहती हैं, समस्या यह है कि सीएम तक पहुंच नहीं है।