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Jaipur मिट्टी की गणेश प्रतिमा ही सनातन संस्कृति पूजा-अर्चना

 
Jaipur मिट्टी की गणेश प्रतिमा ही सनातन संस्कृति पूजा-अर्चना
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर  नन्हे-नन्हे हाथों से बुधवार को सांगानेर स्थित महावीर नगर के एक स्कूल में बच्चों ने मिट्टी के गणेश की छोटी-छोटी प्रतिमाएं बनाई। इस दौरान स्कूल स्टाफ ने बच्चों को प्रतिमाएं बनाने के लिए गाइड किया। खास बात यह है कि इन मूर्तियों को बनाने के लिए मिट्टी में विभिन्न फूलों के बीज डाले गए। विद्यालय के निदेशक देवेश शर्मा ने बताया कि गणपति की पूजा करने के बाद इन प्रतिमाओं का विसर्जन घर में किया जाएगा और इस मिट्टी को गमलों में डाल दिया जाएगा, ताकि आने वाले दिनों में गणपति हमें फूलों के रूप में लंबे समय तक अपना आशीर्वाद दें।

जयपुर गणेश चतुर्थी पर बाजार में मिट्टी, पीओपी, आदि की मूर्तियां बाजारों में सजने लगी हैं। मूर्तिकारों ने भी गणेश प्रतिमाओं को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। वहीं, सांगानेर और जगतपुरा के विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संगठनों सहित कॉलोनियों में बने युवा क्लबों ने भी रूपरेखा बनाने में लगे हैं। कई संगठन व क्लब गणपति उत्सव के लिए आसपास के लोगों से चंदा एकत्रित रहे है, जिससे पंडालों में सुबह शाम की आरती के साथ प्रसाद वितरण, चौकी, झांकियां और जागरण जैसे कार्यक्रम हो सके। पुराणों शास्त्रों में मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं का महत्व बताने के लिए राजस्थान पत्रिका की ओर से गणेश चतुर्थी पर ‘घर-घर सृजन’ अभियान से जुड़कर पंडित और ज्योतिषाचार्य ने कहा कि गणेश चतुर्थी पर मिट्टी के गणेश ही स्थापित करने चाहिए, क्योंकि ग्रंथों में मिट्टी को पवित्र माना गया है। मिट्टी की मूर्ति में पंचतत्व होते है, इसलिए पुराणों में भी ऐसी प्रतिमा की पूजा का ही विधान बताया गया है।

मिट्टी की प्रतिमाएं इको फ्रेंडली

शास्त्रों में मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा अर्चना का वर्णन आता है। मिट्टी की प्रतिमाएं इको फ्रेंडली होती हैं। श्रद्धालुओं को मिट्टी से बनी प्रतिमाएं ही स्थापित करनी चाहिए। जो पानी को भी खराब नहीं करती हैं। इस कारण पानी में रहने वाले लाखों जीव सुरक्षित रहते हैं। बाजारों में मिलने वाली पीओपी की गणपति की मूर्ति विसर्जन पर प्रकृति को नुकसान पहुंचता है। इससे गणपति कैसे खुश हो सकते हैं।