Jaipur फॉलोअर्स बढ़ाने की होड़ में बच्चे पढ़ाई से दूर, पड़ रहे बीमार
कम उम्र में ऑटिज्म का शिकार
झोटवाड़ा निवासी एक महिला ने बताया कि उनके बेटे की उम्र 10 साल हैं। कोरोना के समय में उसे सोशल मीडिया की लत लग गई। इस कारण कम उम्र से ही वो वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार हो गया। फिलहाल उसका इलाज चल रहा हैं आदर्श नगर निवासी एक महिला ने बताया कि उनकी 13 वर्षीय बेटी रोजाना सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए कई रील्स बनाती हैं। अत्यधिक लाइक्स के लालच में वह देर रात तक जाग कर रील्स बनाती थी, जिस कारण उसका नींद चक्र प्रभावित हुआ और वह इंसोमेनिया की शिकार हो गई। सोशल मीडिया अवेयरनेस कैंपेन के तहत मंगलवार अपरान्ह 3 से 4 बजे तक महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय द्वितीय, गांधीनगर में अवेयरनेस वर्कशॉप आयोजित की जाएगी। इसमें चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट वंदना चौधरी सोशल मीडिया के नुकसान के बारे में जानकारी देंगी।
अक्सर फॉलोवर्स, लाइक्स बढ़ाने के चक्कर में बच्चे, ऐसी वेबसाइट, सोशल मीडिया ग्रुप व पेजेस से जुड़ जाते हैं, जोकि फेक होते हैं। फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए बच्चों से पैसों की मांग करते हैं। अकाउंट हैक होने की भी आशंका रहती है। बच्चों को ब्लैकमेल भी किया जाता है। सोशल मीडिया की लत के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। एकाग्रता कम होती है, जरूरी कार्यों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। बार-बार ध्यान फोन पर ही जाता है। सोशल मीडिया की लत कम करने के लिए बच्चों को आउटडोर गेम्स या पसंदीदा गतिविधि को समय देना चाहिएं। रिसर्च गेट वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार 9-17 वर्ष आयु के बच्चे सोशल मीडिया पर रोजाना 3-4 घंटे व्यतीत करते हैं। फोन का इतना अधिक इस्तेमाल बच्चों की उत्पादक क्षमता पर प्रभाव डाल रहा है। सोशल मीडिया पर बच्चे कई घंटे रील्स देखते हैं, दूसरों के अकाउंट से तुलना करते हैं। इस कारण वे परिवार से दूर होते जा रहे हैं। वे अधिकतर समय एकांत में रह रहे हैं।