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Jaipur इन 10 बागियों को मनाकर बीजेपी चाणक्यों' को आया पसीना

 
इन 10 बागियों को मनाकर बीजेपी चाणक्यों' को आया पसीना

जयपुर न्यूज़ डेस्क, साकिया कमान के वरिष्ठ नेताओं ने बागियों और संगीतकारों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए स्पष्टीकरण दिया है. हालांकि, ये 'चाणक्य' इस मिशन में कामयाब हो पाएगा या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा.

 
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में ज्वालामुखी के गोले की असली तस्वीरें गुरुवार को नामांकन वापसी का आखिरी दिन शुरू होने के बाद सामने आएंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन किसको किस तरह से 'बैठ'ने आता है. प्रमुख नामांकन की इस उलटी गिनती के बीच कांग्रेस और बीजेपी समेत अन्य दलों के बचे हुए बागियों और टूटे हुए लोगों के मन में नामांकन की हलचल है.


साकिया कमान के वरिष्ठ नेताओं ने बागियों और संगीतकारों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए स्पष्टीकरण दिया है. हालांकि, ये 'चाणक्य' इस मिशन में कामयाब हो पाएगा या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा.
 
कांग्रेस-बीजेपी में बागी

ऐसा नहीं है कि बागियों की संख्या और विश्वसनीयता में उनकी दिलचस्पी सिर्फ एक पार्टी तक ही सीमित है. बागी नेता कांग्रेस में हैं, लगभग सभी बीजेपी में हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे प्रदेश में 30 से ज्यादा ऐसे मंदिर हैं जहां बागी बीजेपी-कांग्रेस का गणित बिठा रहे हैं.

यही वजह है कि दोनों आश्रमों ने इन नाराज विद्रोहियों को साधु के लिए अपने 'चाणक्य' मैदान में भेज दिया है. दोनों के नेताओं ने मंगलवार को एसटी को बताया कि आगामी जाति पोर्टफोलियो में कौन सा बागी उन्हें नुकसान पहुंचाएगा और किस बागी को फायदा होगा.


 

बीजेपी के इन 10 बागियों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती है.

- चन्द्रभान सिंह आक्या, चित्तौड़गढ़
-जीवाराम चौधरी, सांचौर
- राजपाल सिंह शेखावत, जोत
- आशू सिंह सुरपुरा, झोटवा
-मुकेश गोयल, कोटपूतली
- अवलोकन सिंह, शिव
-कैलाश मेघवाल, शाहपुरा
- बंशीधर बाजिया, खंडेला
- यूनुस खान, डीडवाना
-भवानी सिंह राजावत, लाडपुरा


इन 'चाणक्यों' को जिम्मेदार ठहराया गया

बीजेपी ने चित्तौड़गढ़ सीट की जिम्मेदारी राजेंद्र चौधरी, तिजारा की जिम्मेदारी भूपेन्द्र यादव और झोटवे की जिम्मेदारी वसुंधरा राजे को दी है. प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, संगठन महासचिव चन्द्रशेखर, वरिष्ठ नेता क्रीड़ा तिवारी भी प्रतिष्ठित हैं. ये उत्पाद उन बागी नेताओं को निशाना बना रहे हैं जो पार्टी और उनकी विशेष पहचान को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके लिए डैमेज कंट्रोल की रणनीति पर काम किया जा रहा है.

लेकिन बागी के बेहतरीन कलाकार की सफलता में अभी भी रुकावटें हैं. कई विद्रोहियों ने शक्ति प्रदर्शन के जरिए बैठकें और रैलियां शुरू कर दी हैं.

इन पदों पर दोनों प्रांतों के सैद्धांतिक नेता भी तैनात हैं, लेकिन कहीं से कोई बड़ी सफलता की खबर नहीं है. जो लोग बागी दल छोड़कर दूसरे दलों के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें तो सफलता की कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन जो लोग अब भी बागी दल में हैं, वे हारे हुए लोगों के लिए प्रयास कर रहे हैं. कुछ आलोचकों ने यह भी कहा कि वे पार्टी के लिए काम करेंगे, लेकिन वे पार्टी में बने रहेंगे और पैठ नहीं बनाएंगे. समकालीन दस्तावेज़ दस्तावेज़ का डेटाबेस नियंत्रक पूर्ण ड्राइंग नहीं दिखा रहा है।


कैलाश चौधरी और कमेटी के साथ बात नहीं बनी

डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी ने 10 अक्टूबर को लाभ मंत्री कैलाश चौधरी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी. इसमें चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नारायण पंचारिया और अल्पसंख्यक मंत्री भी हैं. लेकिन समिति कुछ खास नहीं कर सकी. प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी भी नाराज नेताओं का टिकट काटने में लगे हैं. मंगलवार को जोशी ने पूर्व प्रदेश महासचिव अशोक परनामी और अरुण चौधरी से मंत्रणा की. जोशी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी लंबी मंत्रणा की। पार्टी ने दोनों पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के टिकट काट दिये थे.