Jaipur जैन धर्म की श्रमण संस्कृति एवं चंदन यात्रा महोत्सव की शुरुआत का दिन
दिगंबर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष पदम जैन के मुताबिक जैन धर्म में अक्षय तृतीया के दिन लोग आहार, ज्ञान और औषधि का दान या मंदिरों में यथासंभव दान करते हैं। जैन धर्म की मान्यता है कि भगवान आदिनाथ ने इस दुनिया को असि (तलवार चलाना), मसि (लेखन), कृषि (खेती), वाणिज्य व शिल्प के बारे में बताया था। भगवान आदिनाथ ने ही जीवनयापन के लिए लोगों को इन विद्याओं को बताया था। आचार्य शशांक सागर के मुताबिक भगवान ऋषभनाथ (प्रथम तीर्थंकर) ने एक वर्ष की तपस्या के बाद वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (अक्षय तृतीया) के दिन इक्षु (गन्ना) रस से अपनी तपस्या का पारण किया था। तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि अक्षय तृतीया का उपवास गन्ने के रस से खोला जाता है। ज्योतिषाचार्य पं.हनुमान प्रसाद दाधीच के मुताबिक ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन किए गए शुभ कार्यों का अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
भगवान ऋषभदेव का पहला पारणा दिवस
अक्षय तृतीया (10 मई) पर जैन धर्म के प्रवर्तक एवं पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का पहला पारणा दिवस भक्तिभाव से मनाया जाएगा। इस मौके पर दिगंबर जैन मंदिरों में विशेष धार्मिक आयोजन होंगे। भक्तामर स्तोत्र दीप महाअर्चना अनुष्ठान के दौरान भगवान आदिनाथ की स्तुति की जाएगी। श्रद्धालु यथाशक्ति विभिन्न वस्तुओं का दान करेंगे। जैन मंदिरों के बाहर आमजन को गन्ने का रस पिलाया जाएगा। शहर के कई जैन मंदिरों में भगवान आदिनाथ का इक्षु रस व पंचामृत आदि से भी अभिषेक किया जाएगा।