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Jaipur बिना सूचना इस्तीफा देने वाला असिस्टेंट प्रोफेसर 10 दिन से गायब, तलाश जारी

 
Jaipur बिना सूचना इस्तीफा देने वाला असिस्टेंट प्रोफेसर 10 दिन से गायब, तलाश जारी 

जयपुर न्यूज़ डेस्क, सरकारी नौकरी के लिए बेरोजगार दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं। वहीं, जगदगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के रिसर्च सेंटर में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे डॉ. संदीप जोशी 2 मई को कुलपति को मेल के जरिए इस्तीफा भेजने के बाद से बिना सूचना के गायब है। डॉ. जोशी को ढूंढने के लिए विवि का अमला दस दिन से लगा है। मजे की बात ये है कि डॉ. जोशी को ढूंढने के लिए विवि प्रशासन ने केवल मोबाइल फोन, ई-मेल व वाॅट्सएप के जरिए ही नहीं बल्कि घर पर भी स्टाफ को भेजने के बाद भी निराशा हाथ लगी है। मामले की सूचना राज्यपाल कलराज मिश्र को भेजी जा चुकी है और इस मामले में शिक्षक को सोमवार को दुबारा से पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है।

क्या है नियम

राजस्थान सेवा नियम के अनुसार इस्तीफा देने वाले शिक्षक को तीन माह पहले कुलपति को सूचना देनी हाेती है। और तत्काल इस्तीफा देने वाले का तीन माह का वेतन भी विवि को जमा कराना पड़ता है। यदि शिक्षक इस्तीफा देता है, तो कुलपति को सूचना देनी होती है। और नॉन टीचिंग स्टाफ को रजिस्ट्रार को सूचना देना अनिवार्य है। आगे क्या ? मामले को अब सिंडिकेट में रखा जाएगा। सिंडिकेट के सदस्यों की ओर से अनुशंसा करने पर सेवा समाप्त करने और सेवा में रखने का निर्णय सिंडिकेट के सदस्य ही ले सकते है। अगर मामले को सिंडिकेट में नहीं रखा जाता है, तो सेवा में फिर से रखा जा सकता है।

कुलपति को दी देख लेने की धमकी ... सुरक्षा को लिखा पत्र

वीसी ने मुहाना थाने काे लिखे पत्र में बताया कि फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों को छिपाने एवं विश्वविद्यालय प्रशासन पर डॉ.संदीप जोशी विधि एवं प्रक्रिया विरुद्ध भुगतान करवाने का दबाव डाल रहे है। डाॅ. जाेशी 2 मई को करीब 4 बजे कुलपति कार्यालय में कुछ पत्रावलियों पर हस्ताक्षर करवाने के बहाने आए और वाद-विवाद खड़ा कर दिया और पद छोड़ने अन्यथा देख लेने की धमकी दी। ऐसे में कुलपति ने मुहाना थाने को व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करने के लिए चार मई को पत्र लिखा है। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.जोशी ने 13 मई 2015 को भी विवि की सेवा से इस्तीफा दे दिया था। त्यागपत्र देने के 90 दिन बाद 11 अगस्त 2015 को दुबारा से जाॅइन कर लिया। तब इनकी 90 दिन की छुटिट्यों का समायोजन किया गया। उस समय भी चेतावनी देकर सेवा में रख लिया गया था। क्योंकि मामले को सिंडिकेट में नहीं रखा गया था।