Jaipur ट्रैफिक में फंसी एंबुलेंस तो AI दिखाएगा रास्ता, मिलेगी निशुल्क सुविधा
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्टार्टअप के तौर पर हम किसी भी सेवा के लिए शुल्क नहीं लेते हैं, बल्कि बाजार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं पर हमें 40 से 50 प्रतिशत की छूट मिलती है। शरद ने बताया कि उन्होंने राजस्थान में 700 और देशभर में करीब 1300 एंबुलेंस से करार किया हुआ है। एप के जरिए सूचना देने पर वे 10 से 15 मिनट के भीतर सेवा उपलब्ध कराते हैं। उनके पास चार तरह की एंबुलेंस सुविधाएं हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पास बेसिक, आईसीयू, मोर्चरी और ऑक्सीजन सभी तरह की एंबुलेंस उपलब्ध हैं। इसका मोबाइल एप भी है। यह स्टार्टअप "स्टार्टअप इंडिया" और "आई स्टार्ट" में भी रजिस्टर्ड है। वे एयर एंबुलेंस से भी करार कर रहे हैं, ताकि लोगों को इसकी सुविधा आसानी से मिल सके।
कंप्यूटर इंजीनियर होने के नाते वे जीपीएस संचालित तकनीक से जुड़े
आज हमारे देश में आबादी के हिसाब से एंबुलेंस बहुत कम हैं। इस वजह से लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचने में देरी हो जाती है। इस वजह से मरीज या उसके परिजनों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। कई बार मरीज की जान को भी खतरा हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए ऑनलाइन कैब और बाइक की तरह अब इमरजेंसी में ऑनलाइन एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध है। यह राजस्थान का पहला स्टार्टअप है, जो 24 घंटे ऐसी सेवा देकर लोगों की जान बचा रहा है। शरद ने बताया कि कंप्यूटर इंजीनियर होने के नाते मैंने इसे जीपीएस संचालित तकनीक से जोड़ा, ताकि जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस सही स्थान पर पहुंच सके। साथ ही राजस्थान के करीब 18 अस्पतालों से गठजोड़ कर हम लोगों को सुविधा दे रहे हैं। चलती ट्रेन में रिटायर्ड फौजी की मौत, 600 किलोमीटर तक ले जाया गया शव हाल ही में अहमदाबाद-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर चलती ट्रेन में 62 वर्षीय रिटायर्ड फौजी की मौत होने पर उनकी टीम ने अपने प्रयासों से शव को जयपुर जंक्शन से कासगंज तक सुरक्षित पहुंचाया। रेलवे प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सहयोग से मृतक को डीप फ्रीजर वाली एंबुलेंस में रखकर उसके गंतव्य तक पहुंचाया गया। चूंकि गर्मी में शव को खराब होने से बचाना भी एक चुनौती थी। इसलिए टीम ने मिलकर मृतक के परिजनों की मदद की। इससे उस व्यक्ति के परिजनों को शव लेने के लिए न तो जयपुर आना पड़ा और न ही 10-12 घंटे की यात्रा करनी पड़ी।