Jaipur 980 के बाद 61 उपचुनाव, कांग्रेस ने 31 और भाजपा ने 23 सीटें जीतीं
जयपुर न्यूज़ डेस्क, विधानसभा की 7 सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को होंगे। राज्य में पहली विस से लेकर अब 16वीं विस तक 101 सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं। इनमें 57 सीटें जीत कर पलड़ा कांग्रेस का ही भारी रहा है। हालांकि, भाजपा का उदय 1980 में हुआ, लेकिन उसके बाद के 61 उपचुनाव में उसे 23 सीटों पर ही जीत मिली, जबकि कांग्रेस 31 सीटों पर जीती।1952 से अब तक कांग्रेस ने 56% और भाजपा ने 38% उपचुनाव जीते हैं। कांग्रेस की जीत का सिलसिला पिछले 10 सालों में और बढ़ा है। पिछली दो सरकारों के समय में कांग्रेस सत्ता में रही हो या विपक्ष में, उसकी जीत का प्रतिशत 75% रहा। यानी कुल 16 सीटों के उपचुनाव में 12 पर जीत मिली। भाजपा केवल 3 पर जीत पाई। अब भाजपा ने कांग्रेस से पहले प्रत्याशी घोषित कर बदली रणनीति के संकेत दिए हैं। पहली बार बड़ी सभाएं तय की जा रही हैं, माइक्रो लेवल पर रणनीति बनाई जा रही है।
किस सीट पर एक से ज्यादा बार उपचुनाव
सरदारशहर और आसींद में 3 बार आमेर, राजसमंद, डीग, सलूंबर, किशनगढ़, टोडाभीम, वैर, तिजारा, जोधपुर और मालपुरा में दो बार उपचुनाव हुए।
पहले चुनाव अवैध घोषित हुए, फिर वही प्रत्याशी जीते
पहली विधानसभा में कांग्रेस के लादूराम चौधरी सीकर के नीमकाथाना से और हजारीलाल जयपुर की कोटपूतली सीट से चुनाव लड़े। चुनाव अवैध घोषित हो गए। फिर यहीं से उपचुनाव में दोनों अपनी सीटों से जीत गए।
दो बार जीत का मौका
बूंदी से 5 बार कांग्रेस के विधायक रहे बृजसुंदर शर्मा को दो बार उपचुनाव लड़कर सदन में पहुंचने का मौका मिला। शर्मा एकमात्र ऐसे विधायक बने, जो पहली और दूसरी विस में उपचुनाव लड़कर ही पहुंचे।
1952 से अब तक 101 उपचुनाव; इनमें से मात्र 13 बार महिला जनप्रतिनिधि को मिली जीत
1952 से अब तक हुए 101 उपचुनाव में से मात्र 13 बार महिला जनप्रतिनिधि को जीत का मौका दिया गया। भाजपा, कांग्रेस सहित सभी दलों ने प्रत्याशी भी उतनी संख्या में नहीं बनाया। जीतने वाली महिला विधायकों में कमला बेनीवाल, इकबाल कौर सरीन, गायत्री देवी त्रिवेदी, प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत, बसंती देवी, मधु दाधीच, रीटा चौधरी, शोभारानी कुशवाहा, शिव कुमारी, यशोदा देवी, मनोरमा सिंह, दीप्ति किरण माहेश्वरी और दिव्या सिंह शामिल हैं। इनमें से तीन दीप्ति, रीटा और शोभारानी मौजूदा विधायक भी हैं। इनमें उपचुनाव जीतकर भाजपा से 4, कांग्रेस से 7, प्रज्ञा समाज पार्टी एक व जनसंघ से एक महिला प्रतिनिधि को मौका मिला।
भैरोसिंह शेखावत-गहलोत जैसे दिग्गज भी लड़ चुके हैं उपचुनाव
कुल 101 उपचुनाव में जितने विधायक बने, उनमें से 41 विधायक ऐसे भी हैं, जिनको या तो केवल उपचुनाव ही लड़ने का मौका मिला और जीते या विधानसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन उपचुनाव में ही जीत मिली। इनमें मुख्य रूप से जयनारायण व्यास किशनगढ़ से, पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह की पत्नी दिव्या सिंह डीग से, नाथूलाल गुर्जर हिंडोली से, रालोपा प्रमुख व सांसद हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल खींवसर से, हरिकृष्ण व्यास जोधपुर से उपचुनाव लड़े और जीते। इसके पहले या बाद में उन्हें कभी विधानसभा चुनाव में लड़कर जीतने का मौका नहीं मिला। इनके अलावा अंगदराम शास्त्री, इकबाल कौर संधू, केसरी चंद बोहरा, किशोरीलाल शर्मा, गौरीशंकर आचार्य, चांदनाथ, जयकृष्ण पटेल, दयाराम, द्वारकादास पुरोहित, दाताराम, धूणीलाल गुप्ता, नंदकिशोर शर्मा, नानकराम जगतराय, पूंजीलाल परमार, भंवरलाल जोशी, भौंरा, मधु दाधीच, मूलसिंह शेखावत ने उपचुनाव जीता है।
पूर्व उपराष्ट्रपति व प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भैरोसिंह शेखावत 1977 में छठी विधानसभा के दौरान उपचुनाव में जीतकर सदन में पहुंचे थे। वे कोटा के छबड़ा विस क्षेत्र से जीते थे। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत भी एक उपचुनाव लड़ चुके।वे जोधपुर की सरदारपुरा सीट से 1999 में उपचुनाव जीते। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया वैर से 7वीं विधानसभा में और पूर्व मुख्यमंत्री हीरालाल देवपुरा राजसमंद की कुंभलगढ़ सीट से उपचुनाव लड़कर जीत चुके। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री कमला बेनीवाल, विधानसभा स्पीकर रहे रामनिवास मिर्धा और कैलाश मेघवाल भी उपचुनाव से सदन में पहुंच चुके हैं।