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Jaipur 2 घंटे चलने वाली लीनियर एक्सीलेटर मशीन से कैंसर ट्यूमर का इलाज संभव

 
Jaipur 2 घंटे चलने वाली लीनियर एक्सीलेटर मशीन से कैंसर ट्यूमर का इलाज संभव

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर  स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (एससीआई) में कैंसर मरीजों को बड़ी राहत मिली है। एससीआई में हाल ही में लगी लीनियर एक्सीलेटर मशीन से अब तक 100 से अधिक कैंसर मरीजों को फायदा मिल चुका है। ये वे मरीज हैं, जिन्हें विभिन्न तरह के कैंसर थे और तीसरी-चौथी स्टेज से लेकर गंभीर स्थिति तक पहुंच चुके थे। मालूम हो कि एससीआई में विश्व स्तरीय लीनियर एक्सीलेटर कैंसर मशीन लगी है और इसका उद्देश्य गंभीर मरीजों से लेकर पहली और दूसरी स्टेज के मरीजों को भी टारगेटेड थैरेपी देना हैप्रदेश के गिने-चुने अस्पतालों में ही यह मशीन है। पीपीपी के तहत चलाई जाने वाली इस मशीन का 45 प्रतिशत रेवेन्यू सरकार के पास आएगा। ऐसे में न केवल मरीजों को बड़ा फायदा होेगा, बल्कि रेवेन्यू शेयरिंग से आने वाले दिनों में अन्य प्रोजेक्ट में भी मदद मिलेगी।

फायदा... कैंसर के ट्यूमर को पूरा खत्म किया जा सकेगा

लीनियर एक्सीलरेटर से सीधे कैंसर ट्यूमर वाले हिस्से पर रेडिएशन डाला जाता है, जो दूसरी कोशिकाओं (स्वस्थ) को खत्म करने के बजाय केवल कैंसर कोशिकाओं को ही खत्म करेगा। इसमें दूसरी मशीनों के मुकाबले ज्यादा रेडिएशन निकलता है। इसीलिए इसे चलाने के दौरान रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट का होना जरूरी है। अभी जिस तरह से रेडिएशन दी जा रही हैं उसमें कोशिश की जाती है कि अन्य कोशिकाओं को कम नुकसान हो लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता और मरीजों को काफी परेशानी होती है। इस थैरेपी के शुरू होने के बाद कैंसर के उस हिस्से से पूरी तरह कैंसर ट्यूमर को खत्म किया जाना संभव होगा। लंग्स, आंत, ब्रेन ट्यूमर सहित शरीर की गहराई वाले ट्यूमर के इलाज में बड़ा फायदा मिलेगा।

तीन साल से चल रही थी कवायद;
वर्ष 2022 से मशीन को लाने की कवायद चल रही थी, लेकिन बजट के चलते नहीं आ पाई। चूंकि एसएमएस के पास इतना स्टाफ नहीं है कि वह 8 घंटे से अधिक समय मशीन को चला सके। ऐसे में पीपीपी से इसकाे लगाया है। डॉक्टर्स के मुताबिक रोज 20 सेे अधिक मरीजों को थैरेपी दी जा सकेगी। वहीं, मशीन में किसी भी तरह की खराबी होने पर तुरंत सही कराने की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।

गंभीर मरीजों को भी बड़ी राहत मिल सकेगी
"हम चाहते थे कि जल्दी से जल्दी लीनियर एक्सीलेटर मशीन शुरू हो। सरकार और चिकित्सा विभाग के सहयोग से यह इतनी जल्दी संभव हो पाया है। इसकी प्रक्रियाएं लंबी थी, लेकिन अन्तत: इससे मरीजों को लाभ मिलना शुरू हो गया है। अब तक 100 से अधिक मरीजों को इसका फायदा मिल चुका है। आने वाले दिनों में टारगेटेड थैरेपी से गंभीर मरीजों को भी बड़ी राहत मिल सकेगी।"