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Jaipur रोज मिलने वाला 10 हजार मीट्रिक टन कोयला अटका, प्रदेशभर में कटौती

 
Jaipur रोज मिलने वाला 10 हजार मीट्रिक टन कोयला अटका, प्रदेशभर में कटौती

जयपुर न्यूज़ डेस्क, प्रदेश में भीषण गर्मी की वजह से अचानक बिजली की खपत बढ़ने से बिजली सप्लाई का तंत्र गड़बड़ा गया है। घराें में 24 घंटे बिजली सप्लाई का दावा करने वाले बिजली अधिकारी भी पीछे हटने लगे हैं। इसी बीच छत्तीसगढ़ में आवंटित कोयला खदान प्रसा में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं मिल रही है। इस वजह से निगम को हर दिन मिलने वाला करीब 10 हजार मीट्रिक टन कोयला अटक गया है। कोयला नहीं मिलने की वजह से न सिर्फ बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है, बल्कि विभाग को महंगे दाम पर कोयला खरीदना पड़ रहा है। बिजली कमी की वजह से विभाग को आए दिन अघोषित बिजली कटौती करनी पड़ रही हैं।

राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को 32 हजार मीट्रिक टन कोयला ही मिल रहा

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम बिजली सप्लाई के लिए हर दिन करीब 81 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, जबकि उन्हें पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लाक से 32 हजार मीट्रिक टन मिल रहा है। बाकी 53 हजार मीट्रिक टन कोयला कोल इंडिया से खरीदना पड़ रहा हैं। इसके बदले राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को हर दिन करीब 23 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है। अगर छत्तीसगढ़ के प्रसा में आवंटित खदान से राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को पेड़ों की कटाई की अनुमति मिल जाए तो यहां से हर दिन करीब 10 हजार मीट्रिक टन कोयल निगम को मिलना शुरू हो जाएगा। ऐसे में कोल इंडिया से निगम को मात्र 40 हजार मीट्रिक टन कोयला खरीदना पड़ेगा।

डिमांड 1.10 लाख मीट्रिक टन पहुंचने की उम्मीद
राजस्थान में भीषण गर्मी की वजह से बिजली की खपत अचानक बढ़ गई है। इस वजह से कोयला की डिमांड भी बढ़ गई है। पहले राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को हर दिन करीब 80 हजार मीट्रिक टन की जरूरत थी। अब गर्मी बढ़ने के साथ ही 90 हजार मीट्रिक टन पहुंच गई है। 15 मई के बाद डिमांड 1 लाख 10 हजार मीट्रिक टन पहुंचने की उम्मीद है।

नई खदान से भी खनन की अनुमति नहीं
नई खदान से भी खनन के लिए केंद्र सरकार से सभी तरह की अनुमति मिल गई है। नई खदान लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्र में है। स्थानीय आदिवासी इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं, राज्य सरकार ने हाथी रिजर्व क्षेत्र का दायरा 450 वर्ग किलोमीटर से बढ़ाकर 1995 वर्ग किलोमीटर कर दिया है। इससे कुल 39 कोयला खदान प्रभावित हो रहे हैं। इसमें छत्तीसगढ़ को आवंटित दो खदानें भी शामिल हैं।