Jaipur राजस्थान में कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के बाद हुई चर्चा

जयपुर न्यूज़ डेस्क, अटल सिंह कुन्नर के निधन से कांग्रेस में मची उथल-पुथल, करणपुर विधानसभा सीट पर 25वें चुनाव में वोटिंग हुई. यह लगातार तीसरा विधानसभा चुनाव है, जब एक सीट पर चुनाव होने के कारण 199 सीटों पर एक साथ चुनाव हो रहा है. अटल सिंह कुन्नर के निधन से कांग्रेस में मची उथल-पुथल, करणपुर विधानसभा सीट पर 25वें चुनाव में वोटिंग हुई. यह लगातार तीसरा विधानसभा चुनाव है, जब एक सीट पर चुनाव होने के कारण 199 सीटों पर एक साथ चुनाव हो रहा है.करणपुर सीट पर मतदान के लिए तय तारीख की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की जाएगी. करणपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस कमेटी के नए नामांकन के कारण अब इस क्षेत्र में होम वोटिंग की प्रक्रिया उपयोगी नहीं रह गई है. इस बीच राज्य की अन्य विचारधाराओं में होम मूर्ति का स्टूडियो दूसरे दिन भी जारी है. दूसरी ओर, चर्चा है कि 3 दिसंबर को 199 विधानसभा के बायोडाटा की घोषणा के कारण बहुमत का आंकड़ा भी 100 के बजाय 101 हो गया।
प्राचीन काल में इस क्षेत्र में एक मठ बनाया गया था, जिसमें कभी-कभी संख्या सदस्यों की संख्या 200 भी नहीं थी. इस बार जहां श्रीगंगानगर के करणपुर विधानसभा क्षेत्र में 25 नवंबर को वोट नहीं डाला गया, वहीं 2018 में आदिवासी जिले के रेलवे स्टेशन क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह की मौत हो गई थी. 15वीं विधानसभा में शहर सरदार में भंवरलाल शर्मा, सुजानगढ़ में भंवरलाल मेघवाल, धरियावद में गौतम लाल, राजसमंद में किरण माहेश्वरी और सहाड़ा में कैलाश स्मारक का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही निधन हो गया। हालाँकि, इन बायोडाटा के बाद सदन के सदस्यों की संख्या फिर से दो सौ हो गई।इससे पहले साल 2013 में चूरू विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित प्रत्याशी जगदीश मेघवानी का निधन हो गया था. इसी विधानसभा में धौलपुर से समाजवादी पार्टी के सदस्य बीएल कुशवाह पर हत्या का आरोप लगा और उन्हें जेल भेज दिया गया. बाद में जब यह सीट खाली घोषित हुई तो कुशवाह की पत्नी शोभारानी कुशवाह यहां से चुनाव जीत गईं.
14वीं विधानसभा के दौरान ही कीर्ति कुमारी की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई, जबकि दूसरे बीजेपी कार्यकर्ता कल्याण सिंह की विधानसभा पूरी होने से पहले ही मौत हो गई. वर्ष 1993 में एक दुर्घटना में भाजपा प्रत्याशी की मृत्यु के कारण वे धौलपुर जिले के राजा में निर्वाचित घोषित किये गये। बाद में 1994 में इसी सूट की पत्नी मनोरमा सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतीं. इससे पहले 1985 में जुनून जिले के डीग निवासी मानसिंह और पूर्व भरतपुर राजघराने के एक अन्य सदस्य की मृत्यु के कारण प्राथमिक स्तर पर ही मतदान वर्ष 1985 में हुआ था। वर्ष 1977 में भी इनके निधन का कारण ए स्टिलिटोस केवल 199 क्वार्टर में मतदान कर रहा था।