इस एतिससिक वीडियो में जानिए कुम्भलगढ़ किले के वो रहस्य और तथ्य, जो इसे बनाते हैं देश का सबसे अद्भुत दुर्ग
राजस्थान के राजसमंद ज़िले की अरावली पर्वतमालाओं में स्थित कुम्भलगढ़ किला भारतीय इतिहास और स्थापत्य का एक अद्भुत उदाहरण है। मेवाड़ राजवंश की शान कहे जाने वाले इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुम्भा ने करवाया था। यह किला न केवल अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके साथ जुड़े अनेक रोचक तथ्यों और रहस्यों के कारण यह पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है। आइए जानते हैं कुम्भलगढ़ किले से जुड़े कुछ बेहद रोचक तथ्य जो इसे भारत के सबसे विशिष्ट किलों में स्थान दिलाते हैं।
1. एशिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार
कुम्भलगढ़ किले की सबसे प्रसिद्ध बात इसकी चारदीवारी है। इसकी दीवार लगभग 36 किलोमीटर लंबी है, जो इसे ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के बाद एशिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार बनाती है। यह दीवार इतनी चौड़ी है कि उस पर 8 घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं। इसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है।
2. अजेय रहा 500 वर्षों तक
इतिहास गवाह है कि कुम्भलगढ़ किला लगभग 500 वर्षों तक अजेय रहा। यह किला दुश्मनों के लिए एक पहेली बनकर खड़ा रहा। इसकी दुर्गम स्थिति, मजबूत दीवारें और रणनीतिक स्थान के कारण मुगलों से लेकर कई बाहरी आक्रमणकारी इसे जीत नहीं सके। केवल एक बार, अकबर, आमेर, मालवा और गुजरात की सेनाओं ने एक साथ मिलकर इसे जीतने में सफलता पाई।
3. महाराणा प्रताप की जन्मस्थली
कुम्भलगढ़ किला न केवल स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महान राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप की जन्मस्थली भी है। 1540 ई. में महाराणा प्रताप का जन्म यहीं हुआ था। यह स्थल आज भी राजपूत वीरता और गौरव का प्रतीक बना हुआ है।
4. किले में स्थित 360 मंदिर
कुम्भलगढ़ किले के अंदर लगभग 360 मंदिर हैं, जिनमें से 300 जैन धर्म के हैं और 60 हिन्दू धर्म के। यह दर्शाता है कि किला केवल एक सैन्य दुर्ग ही नहीं, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी था। यहां स्थित नेहरू जैन मंदिर, वेदी माता मंदिर और शिव मंदिरों की वास्तुकला भी दर्शनीय है।
5. जादुई रोशनी में छिपा रहस्य
इतिहासकारों के अनुसार, इस किले की रात में जलाई जाने वाली मशालों को कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकता था, परंतु इसके बावजूद दुश्मन इस किले की सही लोकेशन नहीं जान पाते थे। यह रणनीतिक रोशनी व्यवस्था भी इस किले की सुरक्षा का हिस्सा थी।
6. भूतिया किस्सों से जुड़ा हुआ
स्थानीय कहानियों के अनुसार, कुम्भलगढ़ किला कुछ अलौकिक घटनाओं से भी जुड़ा रहा है। कहा जाता है कि जब इसका निर्माण शुरू हुआ था, तो कई बार दीवारें रातभर में गिर जाया करती थीं। तब एक संत ने सुझाव दिया कि एक व्यक्ति को स्वेच्छा से बलिदान देना होगा। इस बलिदान के बाद ही निर्माण कार्य सफल हुआ। यह कथा आज भी रहस्य और श्रद्धा के बीच झूलती है।
7. प्राकृतिक सुरक्षा कवच
किले को चारों ओर से घने जंगलों और पहाड़ियों ने घेर रखा है, जो इसे एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। यहां से दूर तक फैली घाटियों और पहाड़ों का दृश्य रोमांचित कर देने वाला होता है। किले की ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर है, जिससे यह दुश्मनों की नजरों से सुरक्षित बना रहता था।
8. युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
2013 में कुम्भलगढ़ किले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित किया गया। यह घोषणा इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को वैश्विक मंच पर मान्यता दिलाने का प्रतीक है।
