3 मिनट की इस वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानिए आमेर किले के बारे में 6 दिलचस्प बातें, जो आपको यहां घूमने के लिए कर देंगी मजबूर

राजस्थान के ऐतिहासिक किले देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित आमेर किला भी यहां की सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक रहा है। 16वीं शताब्दी में बना यह किला राजस्थानी कला और संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। इस किले ने स्वर्णिम युग देखा है। इसका निर्माण स्थानीय मीनाओं ने करवाया था। ऊंची पहाड़ी पर बना आमेर किला दूर से ही भव्य दिखाई देता है। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं, तो आपको इस किले से जुड़ी रोचक बातें जानने में मजा आएगा। तो आइए जानते हैं इस किले से जुड़ी कुछ रोचक बातें-
मां अंबा देवी के नाम पर पड़ा किले का नाम
आमेर या आमेर किले का नाम मां अंबा देवी के नाम पर रखा गया है। यहां रहने वाले मीनाओं की मां दुर्गा में गहरी आस्था थी और उन्होंने इस किले का नाम मां के नाम पर रखा था। एक और किंवदंती है कि इस किले का नाम अंबिकेश्वर के नाम पर रखा गया था, जो भगवान शिव का एक रूप हैं। इस किले के एक तरफ बड़े-बड़े गलियारे नजर आते हैं, जबकि दूसरी तरफ संकरी गलियां हैं। यह मुगल और राजपूत स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है। आमेर किले के ठीक सामने बनी झील इस किले की खूबसूरती को और भी बढ़ा देती है।
किले को बनने में लगे थे 100 साल
आमेर किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह के समय में शुरू हुआ था, लेकिन इसका निर्माण कार्य राजा सवाई जय सिंह द्वितीय और राजा जय सिंह प्रथम के समय में भी जारी रहा। इन राजाओं के प्रयासों से इस किले को अपना वर्तमान स्वरूप मिला। इन राजाओं ने इस किले की स्थापत्य कला पर विशेष ध्यान दिया, इसीलिए इसे बनने में काफी समय लगा। राजा मान सिंह से लेकर राजा सवाई जय सिंह द्वितीय और राजा जय सिंह के शासनकाल में 100 साल गुजर गए।
शिला देवी मंदिर
शिला देवी मंदिर आमेर किले में स्थित है। इस मंदिर के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। ऐसा माना जाता है कि मां काली राजा मान सिंह के सपने में आई थीं और उन्हें जेसोर (बांग्लादेश के पास स्थित एक जगह) के पास अपनी मूर्ति खोजने के लिए कहा था। राजा मान सिंह ने मां के आदेश का पालन किया, लेकिन वहां मां की मूर्ति न पाकर उन्हें एक बड़ा पत्थर मिला। इस पत्थर को साफ करके मां शिला देवी की मूर्ति निकाली गई और इस तरह यहां शिला देवी का मंदिर बनाया गया। आज भी भक्तों की इस मंदिर में गहरी आस्था है।
शीश महल
यह किले के अंदर सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। इस इमारत की खासियत यह है कि यहां लगे शीशे इस तरह से लगाए गए हैं कि जब इसमें रोशनी की जाती है तो पूरी इमारत जगमगा उठती है। यह जगह बॉलीवुड निर्देशकों की पसंदीदा रही है। दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्म 'मुगल-ए-आजम' का गाना 'प्यार किया तो डरना क्या' यहीं फिल्माया गया था।
जयगढ़ किला
जयगढ़ किला आमेर किले के पास स्थित है। इस किले का निर्माण राजा की सेना के लिए किया गया था। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आमेर किले से 2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई गई थी, जो इसे जयगढ़ किले से जोड़ती है। इस सुरंग का निर्माण युद्ध जैसी परिस्थितियों के लिए किया गया था, ताकि राजा को महल से सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। इस तरह की योजना से साफ पता चलता है कि पहले के समय के राजा रणनीति बनाने में कितने कुशल थे।
गणेश पोल
यह आमेर किले का प्रवेश द्वार है, जहां से महाराजा महल में प्रवेश करते थे। गणेश पोल के ऊपर एक छोटी सी खिड़की दिखाई देती है। यह खिड़की न केवल इस खूबसूरत वास्तुकला का हिस्सा थी, बल्कि इसे यहां रहने वाली रानियों को ध्यान में रखकर भी बनाया गया था, ताकि वे आसपास के खूबसूरत नजारों को देख सकें। पहले के समय में राजघराने से आने वाली महिलाओं को लोगों के बीच जाने की अनुमति नहीं थी, इसीलिए महल में उनके मनोरंजन का पूरा इंतजाम किया जाता था।