वायरल डॉक्यूमेंट्री में देखे सिटी पैलेस जयपुर की वो तमाम शाही चीज़ें जो पहली नजर में ही आपको कहने पर मजबूर कर देंगी – ‘वाह!’
राजस्थान की राजधानी जयपुर न केवल अपनी रंगीन गलियों और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां स्थित सिटी पैलेस (City Palace Jaipur) एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जो पहली झलक में ही दिल को छू जाता है। यह महल केवल एक पर्यटन स्थल नहीं बल्कि राजस्थान के गौरवशाली अतीत, स्थापत्य कला और शाही जीवनशैली का जीवंत उदाहरण है। यहां आने वाले हर व्यक्ति के मन से अनायास ही एक शब्द निकलता है—"वाह!"
राजसी प्रवेश द्वार: जहां भव्यता की होती है शुरुआत
सिटी पैलेस के भीतर प्रवेश करते ही सबसे पहले नजर जाती है इसके विशाल और भव्य द्वारों पर—त्रिपोलिया गेट, जलैब चौक और राजेंद्र पोल। ये दरवाजे न केवल स्थापत्य की दृष्टि से खूबसूरत हैं, बल्कि इनका ऐतिहासिक महत्व भी है। त्रिपोलिया गेट से केवल शाही परिवार के सदस्य प्रवेश करते थे, वहीं आमजन के लिए अलग प्रवेश द्वार हुआ करता था।
मुबारक महल: जहाँ रेशम और ज़री की खुशबू है
प्रवेश करते ही सामने आता है मुबारक महल, जिसे राजा माधव सिंह द्वितीय ने बनवाया था। इस महल को विशेष रूप से यूरोपीय, मुग़ल और राजस्थानी शैली में डिज़ाइन किया गया है। आज यह महल एक कॉस्ट्यूम म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है, जहाँ आप राजाओं द्वारा पहने गए रेशमी वस्त्र, ज़री की पोशाकें, शादी के भारी-भरकम परिधान और यहां तक कि महाराजाओं के शाही अंगरखे तक देख सकते हैं।
चंद्र महल: अभी भी बसी है शाही हवा
सिटी पैलेस का सबसे मुख्य भाग है चंद्र महल, जो आज भी जयपुर के शाही परिवार का निवास स्थान है। सात मंज़िला यह महल अंदर से जितना शानदार है, उतना ही पवित्र भी। इसकी पहली मंजिल को एक संग्रहालय के रूप में आम लोगों के लिए खोल दिया गया है, जिसमें राजाओं के हथियार, चित्रकला और शाही फर्नीचर देखे जा सकते हैं।
दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम: जहाँ लिए जाते थे ऐतिहासिक फैसले
सिटी पैलेस के भीतर बने दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम में कभी दरबार लगा करता था। दीवान-ए-खास में रखे दो विशाल चांदी के कलश विश्व के सबसे बड़े चांदी के बर्तन माने जाते हैं। इनका प्रयोग महाराजा सवाई माधव सिंह द्वितीय ने इंग्लैंड यात्रा के समय गंगा जल ले जाने के लिए किया था।
पिताम्बर दरवाज़े और चार ऋतुओं वाले द्वार
सिटी पैलेस की एक और अनूठी विशेषता है इसके चार ऋतु दरवाज़े, जिन्हें पिताम्बर दरवाजे भी कहा जाता है। हर दरवाज़ा किसी विशेष ऋतु और देवी-देवता को समर्पित है — ग्रीष्म (भगवान गणेश), वसंत (भगवान विष्णु), शरद (देवी लक्ष्मी) और हेमंत (भगवान शिव)। इन रंग-बिरंगे, कलात्मक दरवाज़ों के सामने हर पर्यटक ठहर जाता है और कैमरे में इन्हें कैद किए बिना आगे नहीं बढ़ता।
बग्गी खाना और शस्त्रागार संग्रहालय
महल परिसर में स्थित बग्गी खाना एक अनूठा संग्रहालय है जहाँ पुरानी बग्गियों, पालकियों और रथों को सहेज कर रखा गया है। वहीं, शस्त्रागार संग्रहालय में तलवारें, खंजर, भाले और कई ऐतिहासिक हथियार देखे जा सकते हैं जो युद्ध और सम्मान का प्रतीक हैं।
क्यों कहेंगे आप 'वाह'?
सिटी पैलेस का हर कोना भव्यता और इतिहास से लबरेज़ है। यहाँ की दीवारों पर बनी मीनाकारी, गोल्ड वर्क और फ्रेस्को पेंटिंग्स आपको राजसी युग में ले जाती हैं। महल की सजावट, बारीक कारीगरी और हवाओं में घुली शाही ख़ुशबू, हर पल को खास बना देती है। यहाँ न केवल इतिहास के पन्ने खुलते हैं, बल्कि हर दर्शक की आंखों में सम्मान और रोमांच भी उतर आता है।
