वीडियो में देखे बीसलपुर बांध के पास वह रहस्यमयी स्थान जहां रावण ने की थी घोर तपस्या, सावन में हजारों श्रद्धालु करते हैं जलाभिषेक
राजस्थान के टोंक जिले में स्थित बीसलपुर बांध केवल राज्य की जल-आपूर्ति का केंद्र नहीं, बल्कि आस्था और इतिहास का एक अद्भुत संगम भी है। इस विशाल जलाशय के पास एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर मौजूद है, जिसे लेकर मान्यता है कि लंकेश रावण ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। यही कारण है कि खासतौर पर सावन के महीने में यह मंदिर श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार हो जाता है।
इतिहास और पौराणिक महत्व
स्थानीय किंवदंतियों और प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, रावण जो कि एक महान शिव भक्त था, उसने त्रेता युग में इसी स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया था। कहा जाता है कि रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे अतुलनीय शक्ति और वरदान प्रदान किए थे। इसी तपोभूमि पर आज यह प्राचीन शिव मंदिर खड़ा है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।इस मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक राजस्थानी शैली में बनी हुई है और इसकी दीवारों पर रावण के तप और शिव-भक्ति के कई प्रतीक चिन्ह खुदे हुए हैं। मंदिर परिसर में एक विशाल शिवलिंग विराजमान है, जिसे ‘रावणेश्वर महादेव’ के नाम से भी जाना जाता है।
सावन में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
सावन का महीना, जिसे भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पावन माना जाता है, इस मंदिर में विशेष उत्सव का रूप ले लेता है। सोमवार को विशेष रूप से हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए यहां पहुंचते हैं। भक्त जन बीसलपुर बांध के जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और रावण की तपोभूमि में शिव से मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।हरियाली अमावस्या, नाग पंचमी और श्रावण पूर्णिमा के दिन यहां पर विशेष शिव महा आरती, रुद्राभिषेक, और भजन संध्या का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से आए साधु-संत और श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
स्थानीय प्रशासन की तैयारी और पर्यटक आकर्षण
हर साल सावन में भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन विशेष व्यवस्थाएं करता है। साफ-सफाई, सुरक्षा, पेयजल और मेडिकल सुविधाओं को लेकर विशेष टीमें तैनात की जाती हैं। साथ ही, बीसलपुर बांध की खूबसूरती और मंदिर की पृष्ठभूमि फोटोग्राफरों और धार्मिक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है।राजस्थान पर्यटन विभाग भी अब इस ऐतिहासिक शिव मंदिर को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है, ताकि रावण की यह तपोभूमि देशभर के शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन सके।
श्रद्धा और इतिहास का अद्भुत संगम
बीसलपुर का यह शिव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारतीय पौराणिक संस्कृति, रावण जैसे जटिल किरदार की शिव-भक्ति और सच्ची तपस्या की गवाही देता है। सावन के इस पावन अवसर पर जब पूरा वातावरण 'हर हर महादेव' के जयकारों से गूंजता है, तो लगता है मानो रावण की आत्मा भी इसी भूमि पर फिर से तप में लीन हो गई हो।
