Aapka Rajasthan

रणथंभौर में जंगल की सत्ता को लेकर भिडी मां-बेटी, टेरिटोरियल फाइट में दोनों बाघिनें घायल, देख काँपे पर्यटक

रणथंभौर में जंगल की सत्ता को लेकर भिडी मां-बेटी, टेरिटोरियल फाइट में दोनों बाघिनें घायल, देख काँपे पर्यटक
 
रणथंभौर में जंगल की सत्ता को लेकर भिडी मां-बेटी, टेरिटोरियल फाइट में दोनों बाघिनें घायल, देख काँपे पर्यटक

सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व में एक बार फिर जंगल की सत्ता को लेकर मां और बेटी के बीच जबरदस्त टेरिटोरियल फाइट देखने को मिली है। बाघिन टी-124 रिद्धि और उसकी बेटी के बीच हुए इस संघर्ष में दोनों घायल हो गईं। यह घटना रणथंभौर के 2504 लेक एरिया में सामने आई है, जहां कब्जे को लेकर दोनों बाघिनें आमने-सामने आ गईं।

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, यह इलाका रणथंभौर के सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्रों में गिना जाता है। यहां पानी, शिकार और सुरक्षित मूवमेंट की पर्याप्त सुविधा होने के कारण बाघों के बीच टेरिटरी को लेकर अक्सर संघर्ष होता है। बताया जा रहा है कि बाघिन रिद्धि और उसकी बेटी पहले भी इस क्षेत्र को लेकर आमने-सामने आ चुकी हैं, लेकिन इस बार टकराव ज्यादा हिंसक हो गया।

प्रत्यक्षदर्शियों और ट्रैकिंग टीम के मुताबिक, दोनों बाघिनों के बीच काफी देर तक संघर्ष चला। इस दौरान एक-दूसरे पर पंजों और दांतों से हमला किया गया। लड़ाई के बाद मां बाघिन रिद्धि के पैर में गंभीर चोट आई है, जिसके कारण वह लंगड़ाते हुए दिखाई दे रही है। वहीं, उसकी बेटी के कान पर गहरा घाव लगा है, जिससे खून निकलने के निशान भी देखे गए हैं।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल दोनों बाघिनें अलग-अलग इलाकों में मूव कर रही हैं और उनकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। रेंजर और वन्यजीव चिकित्सकों की टीम कैमरा ट्रैप और फील्ड स्टाफ के जरिए उनकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। जरूरत पड़ने पर इलाज के लिए मेडिकल इंटरवेंशन भी किया जा सकता है।

बाघों में टेरिटोरियल व्यवहार स्वाभाविक होता है। जैसे-जैसे शावक बड़े होते हैं, वे अपनी अलग टेरिटरी बनाने की कोशिश करते हैं। इसी प्रक्रिया में कई बार मां और संतान के बीच भी संघर्ष की स्थिति बन जाती है। रणथंभौर जैसे घने बाघ आबादी वाले रिजर्व में इस तरह की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं।

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वर्तमान में बाघों की संख्या अच्छी मानी जाती है, लेकिन बढ़ती आबादी के साथ टेरिटरी को लेकर संघर्ष भी एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। वन विभाग का कहना है कि प्राथमिकता दोनों बाघिनों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर है, ताकि जंगल का संतुलन बना रहे।