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सावित्री माता मंदिर से पाप मोचिनी तक ये सात पवित्र स्थल नहीं देखे तो अधूरी रह जाएगी आपकी पुष्कर यात्रा, वीडियो में देखे फुल ट्रेवल गाइड

सावित्री माता मंदिर से पाप मोचिनी तक ये सात पवित्र स्थल नहीं देखे तो अधूरी रह जाएगी आपकी पुष्कर यात्रा, वीडियो में देखे फुल ट्रेवल गाइड
 
सावित्री माता मंदिर से पाप मोचिनी तक ये सात पवित्र स्थल नहीं देखे तो अधूरी रह जाएगी आपकी पुष्कर यात्रा, वीडियो में देखे फुल ट्रेवल गाइड

राजस्थान की मरुस्थली भूमि पर बसा एक छोटा सा लेकिन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध शहर—पुष्कर। अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित यह नगर विश्वभर में अपनी धार्मिक महत्ता, मेलों, लोक संस्कृति और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। इसे न केवल "उत्सवों का शहर" कहा जाता है, बल्कि इसे हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक भी माना जाता है।हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां आते हैं ताकि वे इस धरती पर स्थित उन स्थलों की सैर कर सकें जिन्हें देवताओं और ऋषियों से जुड़ा हुआ माना जाता है। अगर आप भी कभी पुष्कर जाएं, तो इन प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा जरूर करें, जो आपके अनुभव को अविस्मरणीय बना देंगे।

1. ब्रह्मा मंदिर – दुनिया में इकलौता भगवान ब्रह्मा का मंदिर

पुष्कर का सबसे बड़ा आकर्षण है ब्रह्मा जी का मंदिर, जो विश्व का एकमात्र सक्रिय मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। यह मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है और इसकी नीली छतरी इसे दूर से ही पहचानने योग्य बनाती है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहीं यज्ञ किया था, जिसके कारण यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।

2. पवित्र पुष्कर सरोवर – स्नान से मिलती है मोक्ष की प्राप्ति

पुष्कर झील या पुष्कर सरोवर 52 घाटों से घिरी हुई है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर डुबकी लगाते हैं। यह झील 400 से अधिक प्राचीन मंदिरों से घिरी हुई है और इसकी पवित्रता की तुलना हरिद्वार या वाराणसी से की जाती है। कहा जाता है कि स्वयं ब्रह्मा जी के कमल से यह झील प्रकट हुई थी।

3. सावित्री माता मंदिर – पहाड़ी पर स्थित भव्य दर्शन

ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री माता को समर्पित यह मंदिर पुष्कर झील से कुछ ऊपर पहाड़ी पर स्थित है। लगभग 200 से अधिक सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुँचा जाता है, लेकिन वहां से दिखाई देने वाला दृश्य अद्भुत होता है। आजकल यहां रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है।

4. रंगजी मंदिर – दक्षिण भारतीय स्थापत्य का नमूना

यह मंदिर भगवान रंगनाथ (विष्णु) को समर्पित है और इसकी वास्तुकला दक्षिण भारत के मंदिरों से मिलती-जुलती है। पुष्कर में राजस्थान के पारंपरिक मंदिरों से अलग यह मंदिर एक अनूठा आकर्षण है, जहां श्रद्धालु न केवल पूजा-अर्चना करते हैं बल्कि वास्तुकला प्रेमी भी इसे निहारते रह जाते हैं।

5. पाप मोचिनी मंदिर – पापों से मुक्ति का स्थान

पुष्कर सरोवर के पास स्थित यह मंदिर देवी एकादशी को समर्पित है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से व्यक्ति को अपने पापों से छुटकारा मिल जाता है। यह स्थान विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो आध्यात्मिक शांति की तलाश में होते हैं।

6. पुष्कर मेला ग्राउंड – जब रेगिस्तान रंगों से भर उठता है

हर साल अक्टूबर-नवंबर में आयोजित होने वाला पुष्कर मेला विश्वप्रसिद्ध है। यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवंतता, पशु व्यापार, लोक नृत्य, संगीत, खेल और संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन है। ऊंटों की साज-सज्जा, मटकी दौड़, कबड्डी, लोकगीत और विदेशी पर्यटकों की भीड़ इस मेले को रंग-बिरंगा बना देती है।

7. मरुधरा की गलियों में लोक संस्कृति की झलक

पुष्कर केवल मंदिरों तक ही सीमित नहीं है। यहां की गलियां, बाज़ार, हस्तशिल्प और भोजन भी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। स्थानीय दुकानों से आप राजस्थानी आभूषण, हाथ से बनी पेंटिंग्स, धार्मिक वस्तुएं और पारंपरिक पोशाकें खरीद सकते हैं। साथ ही, स्थानीय व्यंजन जैसे 'मालपुआ', 'दाल-बाटी' और 'गट्टे की सब्ज़ी' स्वाद में अद्वितीय होते हैं।

अंत में: पुष्कर एक यात्रा नहीं, एक अनुभव है

पुष्कर की यात्रा केवल एक पर्यटन यात्रा नहीं होती, यह आत्मा को छू लेने वाला अनुभव बन जाती है। यह शहर अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के कारण हर यात्री के मन में एक स्थायी छवि छोड़ जाता है। चाहे आप भक्त हों या पर्यटक, पुष्कर के पवित्र स्थलों की सैर आपकी ज़िंदगी को छू जाएगी।