अगर आप DM और Collector को लेकर कंफ्यूज हैं तो यहां जानें इनके बीच का अंतर
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जयपुर न्यूज़ डेस्क, डीएम (DM) या डीसी (DC) साहब ये शब्द आपने कभी न कभी जरूर इन शबदों को अक्सर प्रशासनिक शब्दावली में सुना ही होगा . ये दोनों ही सरकारी पद अक्सर जिले के प्रशासन से जुड़े हुए होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में कोई अंतर है? बहुत से लोगों को लगता है कि DM और DC एक ही पद हैं, लेकिन असल में इनमें काफी बारी क अंतर होता है जिसे समझना काफी आसान होता है. आइए, जरा सरल भाषा में समझते हैं:
जिलाधिकारी (DM) कौन होता है?
जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) को आम बोलचाल में DM कहते हैं. यह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का एक अधिकारी होता है. जो पूरे जिले का सबसे वरिष्ठ कार्यकारी मजिस्ट्रेट और प्रमुख प्रभारी होता है. इनके ऊपर जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अहम जिम्मेदारी होती है. इसके अलावा, इनका काम पुलिस बल को निर्देश देना और जेलों का प्रशासन देखना भी इन्हीं के अंतर्गत आता है.
जिला कलेक्टर (DC) कौन होता है?
जिला कलेक्टर (District Collector) जिले में राजस्व प्रशासन का मुखिया होता है. इसका काम भूमि अधिग्रहण, भू-राजस्व का संग्रह और जमीन का रिकॉर्ड रखना होता है. साथ ही, जिस जगह इनकी पोस्टिंग होती है वहां का आपदा राहत और पुनर्वास कार्यों में भी DC की अहम भूमिका होती है.
तो फिर DM और DC में अंतर क्या है?
आसान शब्दों में कहें तो, कई राज्यों में जिलाधिकारी एक ही पद होता है, जो DM और DC दोनों का काम संभालता है. ऐसे में, DM और DC में कोई खास अंतर नहीं होता. दोनों ही एक ही अधिकारी के दो अलग-अलग नाम हैं. लेकिन, कुछ राज्यों में जिलाधिकारी के पद को दो भागों में बांटा जा सकता है - एक जिला मजिस्ट्रेट (DM) और दूसरा जिला कलेक्टर (DC). ऐसी स्थिति में, DM का काम जिले की कानून-व्यवस्था संभालना होता है, जबकि DC राजस्व से जुड़े मामलों को देखता है.