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राजस्थान की रेत में छिपा था इतिहास! पाकिस्तान बॉर्डर के पास वैज्ञानिकों को मिला 4500 साल पुराना शहर, पढ़े पूरी रिपोर्ट

राजस्थान की रेत में छिपा था इतिहास! पाकिस्तान बॉर्डर के पास वैज्ञानिकों को मिला 4500 साल पुराना शहर, पढ़े पूरी रिपोर्ट
 
राजस्थान की रेत में छिपा था इतिहास! पाकिस्तान बॉर्डर के पास वैज्ञानिकों को मिला 4500 साल पुराना शहर, पढ़े पूरी रिपोर्ट

पश्चिमी राजस्थान के थार रेगिस्तान में एक ऐतिहासिक खोज हुई है। जिसमें हड़प्पा सभ्यता के 4500 साल पुराने अवशेष मिलने का दावा किया जा रहा है। जी हाँ.... राजस्थान के जैसलमेर जिले में हाल ही में एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज हुई है, इस खोज ने इतिहासकारों और शोधकर्ताओं को एक नई दिशा दी है। यह खोज "रातड़िया री देरी" नामक स्थान पर हुई है, जो रामगढ़ तहसील से लगभग 60-70 किलोमीटर और सादेवाला से 15-17 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है। इस स्थल पर हड़प्पा सभ्यता के लगभग 4500 साल पुराने अवशेष मिले हैं, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है। ये अवशेष राजस्थान के थार में इस सभ्यता के विस्तार की ओर इशारा करते हैं।

यह खोज राजस्थान विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के इतिहासकारों और शोधकर्ताओं की एक टीम ने मिलकर की है, जिसमें दिलीप कुमार सैनी, पार्थ जगानी, चतर सिंह जाम, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. तमेघ पंवार, डॉ. रविंद्र देवड़ा और प्रदीप कुमार गर्ग प्रमुख हैं। इस खोज की पुष्टि प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. तमेघ पंवार और डॉ. रविंद्र देवड़ा ने की है और इसका शोध पत्र भारतीय जर्नल साइंस में प्रकाशन के लिए भेजा गया है।

भारत-पाक सीमा के इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मिट्टी के बर्तन, टेराकोटा की वस्तुएँ, चूड़ियाँ, पत्थर के औजार और चर्ट पत्थर से बने ब्लेड मिले हैं। खास बात यह है कि यहाँ पच्चर के आकार की ईंटें भी मिली हैं, जिनका उपयोग गोलाकार भट्टियों और दीवारों के निर्माण में किया गया होगा। इस स्थल के दक्षिणी ढलान पर एक प्राचीन भट्टी भी मिली है, जिसकी निर्माण शैली मोहनजोदड़ो और गुजरात के कांमेर जैसे स्थानों से मेल खाती है। इस खोज से यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पा सभ्यता केवल नदी तटों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि अपनी कठिन जलवायु और जीवन स्थितियों के साथ थार रेगिस्तान तक फैली हुई थी। "रताडिया री डेरी" स्थल न केवल पुरातात्विक दृष्टि से अमूल्य है, बल्कि यह राजस्थान के इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ता है। यह खोज हड़प्पा सभ्यता की विशालता, नवीनता और सामाजिक संरचना को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

हड़प्पा सभ्यता में खोजे गए पुरातात्विक स्थलों में यह पुरातात्विक स्थल अद्वितीय और महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है क्योंकि यह उत्तरी राजस्थान और गुजरात के बीच राजस्थान के थार क्षेत्र में खोजा गया पहला पुरातात्विक स्थल है। हड़प्पा सभ्यता की इस महत्वपूर्ण बस्ती में नगरीय सभ्यता के सभी अवशेष मौजूद हैं। खास बात यह है कि यह पुरातात्विक स्थल पाकिस्तान सीमा के पास स्थित है।

दिलीप कुमार सैनी ने बताया कि इस पुरातात्विक स्थल पर बड़ी मात्रा में खंडित मृदभांड यहाँ-वहाँ बिखरे पड़े हैं, जिनमें हड़प्पा सभ्यता के नगरीय स्तर से संबंधित लाल मृदभांड, लाल मिट्टी के बर्तन, कटोरे, घड़े, छिद्रित घड़ों के टुकड़े आदि शामिल हैं। पाकिस्तान स्थित रोहरी से प्राप्त चर्ट पर बने लगभग 8 से 10 सेमी लंबे कई ब्लेड यहाँ मिल रहे हैं। इसके साथ ही, मिट्टी की चूड़ियाँ, शंख की चूड़ियाँ, त्रिकोणीय, गोलाकार, इडली जैसे टेराकोटा केक भी यहाँ मिल रहे हैं। चीजों को पीसने और रगड़ने से संबंधित कई पत्थर की चक्कियाँ भी मिल रही हैं। इस हड़प्पा सभ्यता स्थल के दक्षिणी ढलान पर एक भट्ठी मिली है, जिसके बीच में एक स्तंभ बना हुआ है। इस प्रकार की भट्टियाँ गुजरात के कन्मेर, मोहनजोदड़ो आदि से मिली हैं।

इस पुरातात्विक स्थल से कीलनुमा ईंटें मिल रही हैं, जिससे पता चलता है कि इस ईंट का उपयोग गोलाकार भट्टियों और गोलाकार दीवारों को बनाने में किया जाता होगा। इसके साथ ही, नगरीय सभ्यता से संबंधित सामान्य ईंटें भी मिल रही हैं। दिलीप कुमार सैनी के अनुसार, थार में पहली बार हड़प्पाकालीन अवशेष मिले हैं।