राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाएं खतरे में! 10% में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं कूलिंग सिस्टम भी खराब, अकेले जयपुर के लिए इतने करोड़ की मांग
राजस्थान में संचालित सरकारी एंबुलेंस 108 और 104 की हालत खस्ता है। यह रिपोर्ट हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) द्वारा किए गए सर्वे में सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की 10 फीसदी एंबुलेंस में कुछ न कुछ खामियां हैं। सर्वे में सामने आया कि कई एंबुलेंस में गर्मी से बचाने के लिए कूलिंग सिस्टम तो लगे हैं, लेकिन वे काम नहीं कर रहे हैं। कुछ एंबुलेंस में मरीज को प्राथमिक उपचार देने के लिए इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) नहीं हैं। इसे देखते हुए एनएचएम ने एंबुलेंस सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। एनएचएम निदेशक भारती दीक्षित ने एंबुलेंस सेवा प्रदान करने वाली कंपनी मॉडर्न इमरजेंसी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज को यह नोटिस जारी किया है।
100 से ज्यादा एंबुलेंस में मिली खामियां
रिपोर्ट के अनुसार यह सर्वे इसी माह 3 से 9 अप्रैल के बीच कराया गया। 8 एंबुलेंस ऐसी मिलीं, जिनके टायर खराब थे। इनमें स्टेपनी तक नहीं थी। इसी तरह 6 एंबुलेंस ऐसी थीं, जिनमें जरूरी दवाएं और मेडिकल उपकरण नहीं थे। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 108 सेवा के तहत लगी 28 एंबुलेंस ऐसी मिलीं, जिनमें एयर कंडीशनर तो लगा था, लेकिन वह काम नहीं कर रहा था। 2 एंबुलेंस में मरीज को प्राथमिक उपचार देने वाला ईएमटी स्टाफ नहीं था। एक एंबुलेंस में तो मरीज को दिया जाने वाला ऑक्सीजन सिलेंडर भी मौजूद नहीं था।
960 एंबुलेंस का हो रहा संचालन
सूत्रों के मुताबिक पूरे प्रदेश में एनएचएम की ओर से 960 (108 एंबुलेंस) एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है। इनमें से 88 एंबुलेंस में खामियां पाई गई हैं। इसके अलावा जननी सुरक्षा योजना के तहत संचालित 583 एंबुलेंस (104 एंबुलेंस) में से 14 में खामियां पाई गई हैं। आपको बता दें कि प्रदेश में संचालित सभी 108 एंबुलेंस में से 30 फीसदी एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस हैं, जिनमें वेंटिलेटर, डिफिब्रिलेटर की सुविधा है।
अकेले जयपुर में 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट
जयपुर जिले की बात करें तो यहां दो सीएमएचओ क्षेत्र हैं। यहां एडवांस लाइफ सेविंग एंबुलेंस, बेसिक लाइफ सेविंग एंबुलेंस और अन्य एंबुलेंस पर हर साल करीब 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। सूत्रों के अनुसार, अगर प्रदेश की बात करें तो सरकार इन एंबुलेंस के संचालन पर हर साल 50 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करती है। दैनिक भास्कर ने इस मामले पर एनएचएम निदेशक भारती दीक्षित से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
