राजस्थान में ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट अटके, पानी की कमी बनी बड़ी बाधा
राजस्थान सरकार ने देश में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बनाने का सपना देखा है, लेकिन यह योजना फिलहाल ठहराव की स्थिति में है। हालांकि सरकार ने कई बड़े औद्योगिक समूहों को प्रोजेक्ट के लिए पंजीकृत कर लिया है, लेकिन सबसे जरूरी संसाधन पानी की ठोस व्यवस्था अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है।
ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की महत्वाकांक्षा
राजस्थान सरकार का उद्देश्य है कि राज्य को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जाए। इस परियोजना के तहत सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग कर पानी से हाइड्रोजन निकाला जाएगा, जो न केवल ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।
सरकार ने इस दिशा में कई बड़े औद्योगिक समूहों को पंजीकृत किया है और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतिगत प्रोत्साहन भी दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर योजना सही दिशा में लागू हुई, तो राजस्थान देश में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
पानी की कमी बनी बड़ी चुनौती
लेकिन योजना को लेकर सबसे बड़ी चुनौती पानी की उपलब्धता है। ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर पानी की जरूरत होती है। राजस्थान जैसे शुष्क और अर्ध-शुष्क राज्य में पर्याप्त पानी की व्यवस्था किए बिना उत्पादन योजना को लागू करना मुश्किल है।
स्रोतों के अनुसार, अभी तक राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना के लिए पानी की ठोस योजना नहीं बनी है। इस वजह से निवेशकों और औद्योगिक समूहों में भी योजना के सफल होने को लेकर चिंता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पानी की उपलब्धता के बिना यह परियोजना केवल कागजों तक सीमित रह सकती है।
सरकारी कदम और नीतिगत पहल
राजस्थान सरकार ने जल प्रबंधन के लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं, लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना जैसी बड़ी ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पर्याप्त जल संसाधन सुनिश्चित करना अभी चुनौती बना हुआ है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को पानी की उपलब्धता के लिए तकनीकी समाधान जैसे समुद्री जल से जल बनाने की योजना या जल पुनर्चक्रण पर ध्यान देना चाहिए।
