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सरकार ने मोबाइल में ‘संचार साथी’ एप को अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने के वापस लिए आदेश, वीडियो में समझें क्यों लिया फैसला

सरकार ने मोबाइल में ‘संचार साथी’ एप को अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने के वापस लिए आदेश, वीडियो में समझें क्यों लिया फैसला
 
सरकार ने मोबाइल में ‘संचार साथी’ एप को अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने के वापस लिए आदेश, वीडियो में समझें क्यों लिया फैसला

केंद्र सरकार ने मोबाइल फोन में ‘संचार साथी’ एप को पहले से इंस्टॉल करने (प्री-इंस्टॉलेशन) की अनिवार्यता के फैसले को वापस ले लिया है। टेलीकॉम विभाग ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि एप की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। अब मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को यह एप पहले से डाउनलोड करके देना जरूरी नहीं होगा।

1.40 करोड़ से अधिक डाउनलोड, जनता का बढ़ता भरोसा
टेलीकॉम डिपार्टमेंट के अनुसार बुधवार दोपहर 12 बजे तक संचार साथी एप के 1 करोड़ 40 लाख से अधिक डाउनलोड दर्ज किए जा चुके हैं। विभाग का कहना है कि पिछले दो दिनों में अपनी मर्जी से एप डाउनलोड करने वाले यूज़र्स की संख्या 10 गुना बढ़ गई है। सरकार का मानना है कि जनता के इसी सकारात्मक रेस्पॉन्स के बाद कंपनियों पर एप को जबरन इंस्टॉल कराने की आवश्यकता नहीं रही।

एप को लेकर जासूसी के आरोपों पर सरकार का जवाब
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संचार साथी एप से जुड़े डेटा प्राइवेसी और जासूसी की आशंका पर सवाल उठाया। इसका जवाब देते हुए केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट कहा— “संचार साथी एप से जासूसी करना न तो संभव है और न ही ऐसा कभी होगा।” सिंधिया ने यह भी कहा कि उपयोगकर्ताओं द्वारा दिए गए फीडबैक के आधार पर ही प्री-इंस्टॉलेशन आदेश में बदलाव किया गया है। मंत्रालय एप पर लगे सभी आरोपों को पूरी तरह निराधार बता चुका है।

संचार साथी एप क्या है?
यह एप नागरिकों को मोबाइल से जुड़े साइबर फ्रॉड और फर्जी सिम कार्ड जैसी समस्याओं से सुरक्षा देने के लिए विकसित किया गया है। इसके जरिए—

  • अपने नाम पर जारी सभी मोबाइल नंबरों की जानकारी मिलती है

  • अनजान या गलत तरीके से जारी नंबरों की शिकायत की जा सकती है

  • साइबर क्राइम की आशंका वाले नंबरों को ब्लॉक किया जा सकता है

सरकार का दावा है कि इस एप से फर्जी सिम कार्ड के जरिए होने वाले अपराधों पर रोक लगेगी और डिजिटल सुरक्षा बढ़ेगी।

निर्णय वापस लेने से विवाद शांत होने की उम्मीद
प्री-इंस्टॉलेशन को लेकर कई विशेषज्ञों और विपक्ष के नेताओं ने डेटा प्राइवेसी को लेकर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि यदि एप जबरन मोबाइल में इंटीग्रेट किया जाएगा तो लोगों को अपने निजी डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ेगी।