Aapka Rajasthan

जयपुर में Gen-Z युवाओं ने अरावली बचाने के लिए सड़क पर किया प्रदर्शन

 
जयपुर में Gen-Z युवाओं ने अरावली बचाने के लिए सड़क पर किया प्रदर्शन

जयपुर की आबोहवा और भविष्य की पीढ़ियों के हक में बुधवार रात शहर की सड़कों पर Gen-Z युवाओं का आक्रोश देखने को मिला। अरावली पर्वतमाला के संरक्षण के लिए आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में युवा हाथों में मशालें लेकर उतरे और पर्यावरण विरोधी नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।

युवाओं ने नारों और बैनरों के माध्यम से अरावली पर्वतमाला के महत्व को रेखांकित किया। उनका कहना था कि अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं है, बल्कि यह हवा, पानी, वन्यजीव और आने वाली पीढ़ियों के जीवन का आधार भी है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को संरक्षण से बाहर रखा गया, तो अरावली का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा खनन माफिया और रियल एस्टेट की पहुंच में आ जाएगा।

प्रदर्शन में शामिल ग्रीनमैन नरपतसिंह राजपुरोहित ने अपने खून से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन लिखकर अरावली संरक्षण की मांग की। ज्ञापन में उन्होंने लिखा कि पर्वतमाला को केवल ऊंचाई के आधार पर सीमित नहीं किया जाना चाहिए और इसे पूरी तरह से कानूनी संरक्षण मिलना चाहिए।

इस मौके पर युवाओं ने स्थानीय प्रशासन और सरकार से भी अपील की कि वे पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण अरावली पर्वतमाला के खिलाफ कोई भी विनाशकारी कदम उठाने से बचें। प्रदर्शनकारियों ने मशाल मार्च के जरिए नागरिकों को जागरूक करने का प्रयास किया और शोरगुल व नारों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का संदेश दिया।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के युवा आंदोलन समाज में पर्यावरण संरक्षण के महत्व को उजागर करने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं का यह जनाक्रोश न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी संदेश देता है कि पर्यावरणीय मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इस विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन और नागरिकों दोनों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीरता पैदा कर दी है। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि युवाओं के इस जनाक्रोश और ज्ञापन को ध्यान में रखते हुए अरावली पर्वतमाला के संरक्षण संबंधी आगामी नीतियों पर पुनर्विचार किया जाएगा।

जयपुर के लोगों ने भी इस अभियान का समर्थन किया और कहा कि युवा पीढ़ी का जागरूक होना और उनके द्वारा उठाया गया यह कदम भविष्य में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मददगार साबित होगा।