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राजनीतिक तकरार में उलझी धरोहर: गांधी वाटिका की हालत पर गहलोत ने जताई नाराजगी, सरकार को पत्र लिखकर की इतने करोड़ की मांग

 
राजनीतिक तकरार में उलझी धरोहर: गांधी वाटिका की हालत पर गहलोत ने जताई नाराजगी, सरकार को पत्र लिखकर की इतने करोड़ की मांग 

राजस्थान की राजनीति में गांधीवादी विचारधारा के मुखर समर्थक पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के सेंट्रल पार्क स्थित गांधी वाटिका संग्रहालय की बदहाल स्थिति को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर संग्रहालय के खराब रखरखाव, प्रशासनिक लापरवाही और सुविधाओं के अभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की है।

'मैं मौके पर पहुँचा और देखा कि स्थिति बेहद चिंताजनक है

गहलोत ने कहा कि हाल ही में जब उन्होंने स्वयं संग्रहालय का दौरा किया, तो पाया कि परिसर लगभग उपेक्षित था। बुनियादी ढाँचे की कमी, स्थायी कर्मचारियों का अभाव और प्रशासनिक अनिर्णय ने इस ऐतिहासिक स्थल को लगभग निष्क्रिय बना दिया है। 80 करोड़ रुपये की लागत से बने इस संग्रहालय में गांधीजी के जीवन और दर्शन की आधुनिक प्रस्तुति तो है, लेकिन न तो कोई मार्गदर्शक है और न ही कोई स्थायी अधिकारी। वरिष्ठ अधिकारी भी इसे अतिरिक्त प्रभार के रूप में संभाल रहे हैं।

'तकनीक तो है, लेकिन संचालन ठप है

गहलोत को डिजिटल डिस्प्ले, इंटरैक्टिव गैलरी और ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियों सहित आधुनिक तकनीक से लैस किया गया था। लेकिन गहलोत ने कहा कि यह सब बेमानी है जब न तो इन्हें देखने वाले लोग हैं और न ही समझाने वाला कोई कर्मचारी।

'छते छत, बंद कैफेटेरिया और खराब प्रबंधन'
गहलोत ने पत्र में लिखा कि बारिश के दिनों में संग्रहालय की भूमिगत दीर्घाओं में पानी टपकता है, जिससे महंगे और संवेदनशील उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रहता है। उन्होंने राजस्थान पर्यटन विकास निगम को सौंपे गए बंद कैफेटेरिया की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और इसे तुरंत शुरू करने की माँग की।

'विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित कर सकता है'
गहलोत ने गांधी वाटिका को देश के सर्वश्रेष्ठ गांधी संग्रहालयों में से एक बताया और कहा कि अगर इसका संचालन सही ढंग से किया जाए तो यह स्थान न केवल भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित कर सकता है।