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अरावली मामले पर SC के फैसले को गहलोत-डोटासरा और जूली ने बताया बड़ी जीत, कहा- अगली शताब्दी तक सोचकर हो काम

अरावली मामले पर SC के फैसले को गहलोत-डोटासरा और जूली ने बताया बड़ी जीत, कहा- अगली शताब्दी तक सोचकर हो काम
 
अरावली मामले पर SC के फैसले को गहलोत-डोटासरा और जूली ने बताया बड़ी जीत, कहा- अगली शताब्दी तक सोचकर हो काम

राजस्थान की लाइफलाइन मानी जाने वाली अरावली रेंज के भविष्य को लेकर चल रहे विवाद में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक मोड़ लिया। चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन सदस्यों वाली बेंच ने अरावली रेंज को परिभाषित करने वाले अपने 20 नवंबर, 2025 के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने केंद्र सरकार और राजस्थान समेत चार राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे युवाओं की जीत बताया।

डोटासरा ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की।

डोटासरा ने इसे सच्चाई की जीत बताते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जनता की भावना को समझते हुए सड़कों पर यह मुद्दा उठाया था। सुप्रीम कोर्ट का यह स्टे सभी पर्यावरणविदों और जनता की जीत है जो पिछले एक महीने से संघर्ष कर रहे हैं। डोटासरा ने अरावली रेंज के बचाव के लिए पार्टी के चल रहे आंदोलन को भी स्थगित करने की घोषणा की।

अरावली क्षेत्र के लिए जल्द ही ऐतिहासिक फैसला आएगा - टीकाराम जूली
विपक्षी पार्टी के नेता टीकाराम जूली ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि अरावली क्षेत्र पर 20 नवंबर के फैसले पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत है। यह उन सभी लोगों की जीत है जो पिछले एक महीने से लड़ रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट अरावली क्षेत्र की सुरक्षा और संरक्षण के लिए ऐतिहासिक फैसला देगा।

भविष्य को ध्यान में रखकर काम करें - अशोक गहलोत
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और पर्यावरण मंत्री से इस मुद्दे पर गौर करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अरावली क्षेत्र की परिभाषा पर 20 नवंबर के फैसले पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत है। हालांकि, मौजूदा पर्यावरण की स्थिति को देखते हुए भविष्य के लिए अरावली क्षेत्र पर विचार करना जरूरी है। पर्यावरण मंत्री को अभी से पर्यावरण के हित में काम करने के बारे में भी सोचना चाहिए। सरिस्का समेत पूरे अरावली इलाके में माइनिंग बढ़ाने का आइडिया भविष्य के लिए खतरनाक है।

क्या था विवाद?

20 नवंबर के अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस सिफारिश को मान लिया था जिसमें 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली रेंज से बाहर रखने की बात कही गई थी। इस परिभाषा के बाद, यह डर था कि अरावली इलाके का लगभग 90% हिस्सा कंजर्वेशन एरिया से बाहर हो जाएगा, जिससे माइनिंग माफियाओं के लिए रास्ता खुल जाएगा।

यह रोक क्यों?

सोमवार की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने माना कि इस परिभाषा और 500 मीटर के दायरे के नियमों पर गंभीर सफाई की ज़रूरत है। CJI ने कहा कि पहले के आदेश पर तब तक रोक रहेगी जब तक एक इंडिपेंडेंट, हाई-लेवल एक्सपर्ट कमेटी अरावली इलाके का नए सिरे से असेसमेंट नहीं कर लेती। मामले की अगली सुनवाई अब 21 जनवरी, 2026 को होगी।