गरासिया समाज ने पेश की मिसाल, आबूरोड में नशे के खिलाफ शुरू की जागरूकता की नई लहर
राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड ब्लॉक में जनजातीय गरासिया समाज ने नशे के खिलाफ जो जागरूकता अभियान शुरू किया है, वह समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर उभर रहा है। जहां एक ओर सरकार राजस्व के नाम पर शराबबंदी जैसे मुद्दों पर ठोस कदम उठाने से बच रही है, वहीं गरासिया समाज ने खुद आगे बढ़कर नशे पर अंकुश लगाने का बीड़ा उठाया है।
गांव-गांव में हो रही बैठकों में समाज के बुजुर्ग, युवा और महिलाएं मिलकर यह संकल्प ले रहे हैं कि वे नशे से दूर रहेंगे और अपने बच्चों को भी इस बुराई से बचाएंगे। खासकर शराब के खिलाफ समाज की यह एकजुटता देखकर प्रशासन भी हैरान है।
समाज की बैठकों में अब यह फैसला लिया जा रहा है कि जो व्यक्ति नशे का सेवन करेगा, उसकी सामाजिक मान्यता समाप्त कर दी जाएगी। साथ ही नशे के व्यापार से जुड़े लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा।
इस आंदोलन को लेकर स्थानीय स्तर पर स्कूलों, पंचायतों और धार्मिक स्थलों पर भी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो घर-घर जाकर लोगों को समझा रही हैं और बच्चों को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
सरकार से आगे समाज
राज्य सरकार जहां अभी तक शराबबंदी को लेकर सिर्फ सुझावों और प्रस्तावों के स्तर पर ही सीमित है, वहीं गरासिया समाज ने जमीन पर ठोस पहल कर यह दिखा दिया कि बदलाव की शुरुआत समाज से होती है।
इस पहल से यह साफ है कि अगर समाज ठान ले तो किसी भी सामाजिक बुराई पर नियंत्रण पाया जा सकता है। गरासिया समाज की यह मुहिम आने वाले समय में राजस्थान ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक आदर्श बन सकती है।
