किसी के चलने की आहट से लेकर कैमरों के बंद होने तक, जयपुर सिटी पैलेस में पर्यटकों को हुए कई खौफनाक अनुभव

जयपुर का सिटी पैलेस यूं तो एक भव्य और राजसी इमारत के तौर पर जाना जाता है, लेकिन इसकी ऊंची दीवारों और जटिल गलियारों के भीतर एक रहस्यमयी और खौफनाक दुनिया भी छिपी है, जिसके किस्से आज भी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सैकड़ों वर्षों पुराना यह महल न सिर्फ राजस्थान की शाही विरासत को बयां करता है, बल्कि यहां आने वाले कई पर्यटक कुछ ऐसे अनुभवों से भी रूबरू हुए हैं, जो इस महल को एक ‘हॉन्टेड हेरिटेज’ की तरह पेश करते हैं।
राजसी इमारत या रहस्यमयी हवेली?
सिटी पैलेस का निर्माण 18वीं सदी की शुरुआत में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा कराया गया था। यह महल आज भी राजस्थान के शाही इतिहास की भव्यता और स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। पर दिन ढलने के बाद यहां का माहौल एकदम बदल जाता है। जो गलियारे दिन में सैलानियों की चहल-पहल से गुलजार रहते हैं, वही रात होते-होते सूनसान और रहस्यमयी हो जाते हैं।
चलने की आहटें जब कोई नहीं था
पर्यटकों और स्थानीय गाइड्स का कहना है कि उन्होंने महल के अंदरूनी हिस्सों में कई बार किसी के चलने की धीमी आहटें सुनी हैं, जबकि वहां आसपास कोई नहीं होता। खासकर पुराने रानी महल और गुप्त तहखानों के पास यह अनुभव कई बार दोहराया गया है। एक पर्यटक ने TripAdvisor पर लिखा कि जब वह अकेले महल के एक कोने की तस्वीर खींच रहा था, तभी उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसके पीछे खड़ा है — लेकिन पीछे पलटते ही वहां कुछ भी नहीं था।
अचानक बंद होते कैमरे और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस
एक बेहद आम और अजीब घटना जो कई पर्यटकों को सिटी पैलेस में हुई है — वो है कैमरों और मोबाइल फोनों का अचानक बंद हो जाना। कई पर्यटकों ने बताया कि जैसे ही वे महल के कुछ खास हिस्सों में पहुंचे, उनका कैमरा काम करना बंद कर देता है या उसमें अजीब सी गड़बड़ी आ जाती है। कुछ का कहना है कि उनकी रिकॉर्डिंग अपने-आप रुक गई, तो कुछ ने यह भी कहा कि फोटो में अजीब आकृतियाँ दिखीं, जो वहां असल में मौजूद नहीं थीं।
बंद दरवाज़ों के पीछे से आती आवाज़ें
महल के कुछ हिस्से, जैसे पुरानी कोठरियां या तहखाने, आम लोगों के लिए बंद रहते हैं। लेकिन गार्ड्स और साफ-सफाई कर्मचारी बताते हैं कि इन बंद दरवाजों के पीछे से कभी-कभी स्त्रियों की सिसकियों, चूड़ियों की आवाज़ या फिर किसी के बुदबुदाने जैसी ध्वनि सुनाई देती है। यह आवाज़ें दिन के शांत समय में भी सुनने को मिलती हैं, जिससे महल की रहस्यमयी छवि और गहरी हो जाती है।
रात में महसूस की गई ‘अनदेखी उपस्थिति’
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि उन्हें ऐसा लगा कि कोई उनके साथ चल रहा है, लेकिन जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, तो ना कोई परछाई थी, ना कोई इंसान। सर्दियों में जब कोहरा महल को ढक लेता है, तब यह अनुभव और भी अधिक डरावना बन जाता है।
स्थानीय कहानियाँ और किवदंतियाँ
जयपुर के कुछ बुजुर्गों का मानना है कि सिटी पैलेस में राजसी परिवारों से जुड़े कई ऐसे राजनैतिक षड्यंत्र, प्रेम कहानियाँ और आत्महत्याएँ हुईं, जिनकी आत्माएं आज भी महल के किसी कोने में भटक रही हैं। एक मान्यता है कि एक रानी ने अपमानित होकर आत्मदाह किया था और तब से लेकर अब तक उसकी आत्मा रानी महल के पास मंडराती रहती है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
सिटी पैलेस प्रशासन ने हमेशा इन घटनाओं को “अफवाह” और “पर्यटकों की कल्पना” करार दिया है। लेकिन जब बार-बार अलग-अलग पर्यटक एक जैसी बातें बताएं, तो इन घटनाओं को यूं ही नजरअंदाज करना भी आसान नहीं होता।
सिटी पैलेस की दूसरी पहचान
जयपुर का सिटी पैलेस दिन में भव्यता, सांस्कृतिक विरासत और इतिहास का अद्भुत संगम है, लेकिन रात के सन्नाटे में ये जगह किसी पुरानी, रहस्यमयी दुनिया का दरवाज़ा बन जाती है। कुछ इसे भ्रम कहते हैं, तो कुछ इसे आत्मिक ऊर्जा का अनुभव। जो भी हो, इन अनुभवों ने सिटी पैलेस को न सिर्फ ऐतिहासिक बल्कि हॉरर टूरिज्म की दृष्टि से भी लोकप्रिय बना दिया है।