अरावली को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत का केंद्र पर हमला, वीडियो में देखें मंत्री भूपेंद्र यादव को लिया आडे हाथ
राजस्थान की राजनीति में अरावली पर्वतमाला और खनन को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव पर तीखा पलटवार करते हुए उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। गहलोत ने कहा कि भूपेंद्र यादव स्वयं राजस्थान से आते हैं, ऐसे में उन्हें प्रदेश की भौगोलिक और पर्यावरणीय संवेदनशीलता का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
अशोक गहलोत ने कहा कि ‘संरक्षित क्षेत्र’ के नाम पर अरावली में केवल 0.19 प्रतिशत नई माइनिंग की बात करना पूरी तरह झूठ है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब जून 2025 में सरिस्का के संरक्षित क्षेत्र की परिभाषा बदलकर वहां खनन शुरू करने की तैयारी की जा रही थी, तो क्या अब उसी ‘सरिस्का मॉडल’ को आगे चलकर पूरी अरावली पर लागू किया जाएगा? गहलोत ने इसे पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक करार दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार लगातार आंकड़ों और तकनीकी शब्दों के जरिए जनता को उलझाने और बरगलाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरावली की नई 100 मीटर वाली परिभाषा को केवल एक अलग निर्णय के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे दो अन्य बड़े फैसलों के साथ जोड़कर देखने की जरूरत है। इन फैसलों का मकसद पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि धीरे-धीरे संस्थाओं पर कब्जा कर अरावली क्षेत्र को खनन माफिया के हवाले करने की तैयारी है।
गहलोत ने कहा कि अरावली न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए जीवन रेखा है। यह पर्वतमाला भूजल संरक्षण, जलवायु संतुलन और जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर इसके संरक्षित क्षेत्रों की परिभाषा में छेड़छाड़ की गई, तो आने वाले समय में इसके गंभीर और दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर केवल दिखावटी फैसले कर रही है, जबकि जमीनी सच्चाई इसके ठीक उलट है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां खनन लॉबी के हित में बनाई जा रही हैं और इसका सीधा नुकसान आम जनता और पर्यावरण को होगा।
अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से मांग की कि अरावली को लेकर सभी फैसलों की सार्वजनिक रूप से समीक्षा की जाए और पर्यावरण विशेषज्ञों, स्थानीय लोगों तथा राज्य सरकारों को विश्वास में लेकर ही कोई कदम उठाया जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अरावली और पर्यावरण की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।
गहलोत के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अरावली और खनन का मुद्दा राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा विवादित विषय बन सकता है, जिस पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने नजर आएंगी।
