SMS अस्पताल में पहली बार CRS व HIPEC सर्जरी रही सफल, निशुल्क ईलाज से कैंसर मरीजों को मिलेगी राहत
राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल इंस्टीट्यूशन, जयपुर में SMS मेडिकल कॉलेज ने कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है। कॉलेज के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट ने पहली साइटोरिडक्शन सर्जरी (CRS) और हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी (HIPEC) प्रोसीजर को सफलतापूर्वक किया।
यह एडवांस्ड टेक्नोलॉजी अब राज्य के सरकारी हेल्थ सिस्टम में उपलब्ध है, जिससे एडवांस्ड पेरिटोनियल कैंसर के मरीज़ों को जान बचाने वाला इलाज मिल सकेगा। डिपार्टमेंट ने इस मौके पर एक लाइव सर्जिकल वर्कशॉप भी ऑर्गनाइज़ की, जिसमें राज्य भर के डॉक्टरों, सर्जनों और ऑन्कोलॉजी एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया।
वर्कशॉप का समय
वर्कशॉप सुबह 7:30 बजे शुरू हुई और दोपहर 3:30 बजे तक चली, जहाँ पार्टिसिपेंट्स को मुश्किल CRS और HIPEC प्रोसीजर के हर स्टेप का लाइव ओवरव्यू दिया गया। प्रोग्राम को SMS मेडिकल कॉलेज के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और प्लानिंग सेक्रेटरी डॉ. सुरेश सिंह ने कंडक्ट किया।
मरीज़ों की लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी बढ़ाने के ये असरदार उपाय हैं: डॉ. सुरेश सिंह
डॉ. सुरेश सिंह ने बताया कि CRS+HIPEC कैंसर के इलाज की एक खास तकनीक है जो पेरिटोनियल कार्सिनोमैटोसिस वाले मरीज़ों के लिए बहुत असरदार है। उन्होंने कहा, "यह इलाज पेरिटोनियल कार्सिनोमैटोसिस वाले कुछ चुने हुए मरीज़ों में लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी बढ़ाने और बीमारी को कंट्रोल करने में बहुत असरदार साबित हुआ है। अब जब यह सुविधा सरकारी लेवल पर उपलब्ध है, तो यह राजस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।"
यह बहुत महंगी सर्जरी है, लेकिन चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि राज्य सरकार ने इस मुश्किल और बहुत महंगी सर्जरी को मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में शामिल कर लिया है। इसका मतलब है कि आयुष्मान कार्ड वाले एलिजिबल मरीज़ों को पूरा CRS और HIPEC इलाज बिल्कुल मुफ़्त मिलेगा। इस प्रोसीजर में आमतौर पर प्राइवेट अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च होते हैं, इसलिए गरीब और मिडिल क्लास मरीज़ों को इससे बहुत फ़ायदा होगा।
CRS+HIPEC तकनीक क्या है?
साइटोरिडक्शन सर्जरी (CRS) एक बहुत ही मुश्किल ऑपरेशन है जिसमें पेट के अंदर फैले हर दिखने वाले ट्यूमर को ध्यान से निकाला जाता है। कई मामलों में, कैंसर के बोझ को ज़्यादा से ज़्यादा करने के लिए ओमेंटम, पेरिटोनियम और प्रभावित आंत को भी हटा दिया जाता है।
माइक्रोस्कोपिक कैंसर सेल्स को खत्म करने में मदद करता है
फिर उसी ऑपरेशन के दौरान HIPEC किया जाता है। इस प्रोसीजर में, गर्म कीमोथेरेपी दवाएं (लगभग 42°C) एक खास HIPEC मशीन का इस्तेमाल करके 60-90 मिनट के लिए पेट की कैविटी में इंजेक्ट की जाती हैं। दवाएं सीधे कैंसर वाली जगह पर असर करती हैं और बची हुई माइक्रोस्कोपिक कैंसर सेल्स को खत्म करने में मदद करती हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि दवाएं पूरे शरीर में नहीं फैलतीं, जिससे साइड इफेक्ट्स कम होते हैं और इलाज ज़्यादा असरदार होता है।
किस मरीज़ को सबसे ज़्यादा फ़ायदा होता है?
CRS + HIPEC तकनीक मुख्य रूप से इनके लिए उपयोगी है:
एडवांस्ड ओवेरियन कैंसर
अपेंडिसियल कैंसर
कोलन कैंसर
पेरिटोनियल मेसोथेलियोमा
दूसरे कैंसर जो पेट की परत तक फैल गए हैं।
कई इंटरनेशनल स्टडीज़ में यह प्रोसीजर चुने हुए मरीज़ों की जीवन प्रत्याशा को काफ़ी बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है।
राजस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि।
सरकारी अस्पताल में इस लेटेस्ट सर्जरी की शुरुआत से राज्य के कैंसर ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी मजबूती मिलेगी। मरीजों को अब महंगे प्राइवेट अस्पतालों के बजाय SMS जैसे टॉप सरकारी इंस्टीट्यूशन में बेहतरीन और सस्ता इलाज मिलेगा।
