रेलवे के पार्किंग व पे एंड यूज ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज, वीडियो में जानें रेलवे के साथ किया 64 लाख का फ्रॉड

जोधपुर के राइका बाग रेलवे स्टेशन से जुड़ी एक और बड़ी धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। पहले से ही 21 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई जांच का सामना कर रहे पार्किंग स्टैंड ठेकेदार के खिलाफ अब 64 लाख रुपये से अधिक के फ्रॉड की एक नई एफआईआर दर्ज की गई है। इस बार आरोपी ठेकेदार के साथ-साथ पांच अन्य कॉन्ट्रैक्टर्स के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है, जिन्होंने कुछ रेलवे कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर यह घोटाला अंजाम दिया।
सूत्रों के अनुसार, रेलवे की आंतरिक सतर्कता टीम को हाल ही में वित्तीय गड़बड़ियों की सूचना मिली थी, जिसके बाद विस्तृत ऑडिट किया गया। जांच में सामने आया कि ठेकेदारों ने फर्जी दस्तावेज, बिलों में हेराफेरी और डुप्लिकेट पेमेंट वाउचर के जरिए भारी भरकम रकम रेलवे खाते से निकाल ली। अनुमान है कि इस फ्रॉड की राशि 64.32 लाख रुपए से भी अधिक हो सकती है।
एफआईआर में आरोप है कि आरोपियों ने रेलकर्मियों की मिलीभगत से निर्माण कार्य, सफाई और पार्किंग सुविधाओं में किए गए कार्यों की झूठी रिपोर्टें तैयार करवाईं। बाद में इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर फर्जी भुगतान उठा लिया गया। इस पूरे नेटवर्क में अंदरूनी कर्मचारियों की भूमिका अहम मानी जा रही है, जो अब जांच के दायरे में आ चुके हैं।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह केवल वित्तीय नुकसान नहीं है, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली में गहरे भ्रष्टाचार की जड़ें दिखाता है। इस मामले में अब रेलवे प्रशासन भी सख्त रुख अपना रहा है। विभागीय जांच के साथ-साथ पुलिस और सतर्कता विभाग की टीमों को भी सक्रिय किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी इसी ठेकेदार पर 21 लाख रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लग चुका है, जिसकी जांच सीबीआई के अधीन है। अब एक और गंभीर मामला सामने आने के बाद रेलवे की छवि पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (Sr. DCM) ने बयान जारी कर कहा, “यह मामला बहुत गंभीर है। हम न सिर्फ दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे, बल्कि ऐसे किसी भी कॉन्ट्रेक्टर को भविष्य में रेलवे से कोई भी ठेका नहीं मिलेगा।”
जोधपुर पुलिस ने भी प्राथमिकी दर्ज कर ली है और जांच प्रारंभ कर दी है। साथ ही, जिन कर्मचारियों के नाम सामने आ रहे हैं, उन्हें निलंबित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
इस घटना ने रेलवे की ठेका व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। लगातार सामने आ रही वित्तीय अनियमितताएं इस बात का संकेत हैं कि ठेकेदारी प्रक्रिया और उसके निरीक्षण में कठोर निगरानी और पारदर्शिता की जरूरत है।