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खेल परिषद और एडहॉक कमेटी में फिर छिडी लडाई, फुटेज में जानें SMS स्टेडियम को लेकर क्यों हुआ नया बवाल

खेल परिषद और एडहॉक कमेटी में फिर छिडी लडाई, फुटेज में जानें SMS स्टेडियम को लेकर क्यों हुआ नया बवाल
 
खेल परिषद और एडहॉक कमेटी में फिर छिडी लडाई, फुटेज में जानें SMS स्टेडियम को लेकर क्यों हुआ नया बवाल

राजस्थान की खेल गतिविधियों का प्रमुख केंद्र सवाई मानसिंह स्टेडियम एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। इस बार यह टकराव राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन और राज्य खेल परिषद के बीच गहराता दिख रहा है। मंगलवार को इस विवाद ने नया मोड़ तब लिया जब खेल परिषद ने आरसीए की एडहॉक कमेटी को एक पत्र जारी कर सवाई मानसिंह स्टेडियम सहित अन्य परिसरों का किराया मांगा।

राज्य खेल परिषद की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा सवाई मानसिंह स्टेडियम, आरसीए एकेडमी ग्राउंड और आरसीए के ऑफिस का लंबे समय से उपयोग किया जा रहा है, लेकिन अब तक इन परिसरों का किराया नहीं चुकाया गया है। परिषद ने मांग की है कि आरसीए जल्द से जल्द बकाया किराया जमा कराए, ताकि इन खेल परिसरों का संचालन सुचारु रूप से हो सके।

सूत्रों के अनुसार, खेल परिषद द्वारा यह कदम तब उठाया गया जब उन्हें यह जानकारी मिली कि आरसीए द्वारा इन स्थलों का प्रयोग विभिन्न आयोजनों, ट्रेनिंग सत्रों और कार्यालय संचालन के लिए किया जा रहा है, लेकिन किसी भी प्रकार की औपचारिक अनुमति या भुगतान नहीं किया गया। खेल परिषद का मानना है कि सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल नियमों के दायरे में रहकर ही किया जाना चाहिए।

इस पत्र के बाद आरसीए के पदाधिकारी सकते में आ गए हैं। आरसीए की ओर से हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार एसोसिएशन इस पूरे मामले को लेकर राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि सवाई मानसिंह स्टेडियम राजस्थान क्रिकेट का ऐतिहासिक केंद्र रहा है और यहां पर कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबले भी खेले जा चुके हैं। वहीं, आरसीए एकेडमी ग्राउंड को उभरते खिलाड़ियों की तैयारी के लिए उपयोग में लाया जाता है। ऐसे में अगर इन परिसरों पर विवाद गहराता है तो यह न केवल क्रिकेट गतिविधियों पर असर डालेगा, बल्कि खिलाड़ियों की तैयारियों में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद भविष्य में और गहराने की संभावना है, क्योंकि दोनों संस्थाएं अपने-अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर अड़ी हुई हैं। खेल परिषद जहां संपत्ति के नियमन और किराए की मांग पर जोर दे रही है, वहीं आरसीए इसे राज्य में क्रिकेट को बाधित करने का प्रयास बता सकता है।