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निकाय और पंचायतीराज चुनाव में खर्च सीमा दोगुनी, फुटेज में जानें ऊंटगाड़ी और बैलगाड़ी से प्रचार पर लगी रोक

निकाय और पंचायतीराज चुनाव में खर्च सीमा दोगुनी, फुटेज में जानें ऊंटगाड़ी और बैलगाड़ी से प्रचार पर लगी रोक
 
निकाय और पंचायतीराज चुनाव में खर्च सीमा दोगुनी, फुटेज में जानें ऊंटगाड़ी और बैलगाड़ी से प्रचार पर लगी रोक

राज्य में होने वाले पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों के आगामी चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने उम्मीदवारों की चुनावी खर्च सीमा को दोगुना तक बढ़ा दिया है। इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की गई हैं। आयोग का कहना है कि महंगाई और मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है, ताकि उम्मीदवार तय नियमों के तहत प्रभावी तरीके से चुनाव प्रचार कर सकें।

हालांकि, खर्च सीमा बढ़ाने के साथ-साथ आयोग ने चुनाव प्रचार को लेकर सख्त नियम भी लागू किए हैं। खास तौर पर चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाले वाहनों की संख्या और प्रकार को लेकर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि बड़े वाहनों और पशुओं से चलने वाली गाड़ियों का चुनाव प्रचार में उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार अब उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान बस, ट्रक, मिनी बस, मेटाडोर जैसे बड़े वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा पशुओं से चलाई जाने वाली किसी भी प्रकार की कार्ट या गाड़ी जैसे तांगा, ऊंटगाड़ी या बैलगाड़ी के उपयोग पर भी रोक लगा दी गई है। आयोग का मानना है कि इस तरह के वाहनों के इस्तेमाल से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है और आमजन को असुविधा का सामना करना पड़ता है।

आयोग ने साफ चेतावनी दी है कि यदि कोई उम्मीदवार इन प्रतिबंधित वाहनों का चुनाव प्रचार में उपयोग करता पाया गया, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसमें उम्मीदवार को नोटिस जारी करने से लेकर अन्य दंडात्मक कार्रवाई तक शामिल हो सकती है। साथ ही, उम्मीदवारों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे तय की गई खर्च सीमा से अधिक राशि चुनाव प्रचार पर खर्च न करें।

चुनाव खर्च को लेकर आयोग ने पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया है। सभी उम्मीदवारों को अपने चुनावी खर्च का पूरा विवरण चुनाव समाप्त होने के बाद 15 दिनों के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी को देना अनिवार्य होगा। खर्च का ब्यौरा समय पर जमा नहीं कराने या गलत जानकारी देने पर भी कार्रवाई की जा सकती है। आयोग ने जिला स्तर पर निगरानी टीमें गठित करने के निर्देश दिए हैं, जो उम्मीदवारों के खर्च पर नजर रखेंगी।

राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि इन नियमों का उद्देश्य निष्पक्ष, पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव कराना है। खर्च सीमा बढ़ाने से जहां उम्मीदवारों को राहत मिलेगी, वहीं प्रचार के साधनों पर नियंत्रण से चुनावी प्रक्रिया में अनुशासन बना रहेगा। आयोग ने सभी उम्मीदवारों से अपील की है कि वे चुनाव आचार संहिता और आयोग के निर्देशों का पूरी तरह पालन करें।

गौरतलब है कि पंचायतीराज और शहरी निकाय चुनाव स्थानीय स्तर पर लोकतंत्र की सबसे मजबूत कड़ी माने जाते हैं। ऐसे में आयोग का यह कदम चुनाव प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित और निष्पक्ष बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि उम्मीदवार इन नियमों का कितना पालन करते हैं और चुनाव कितने शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होते हैं।