राजस्थान के इस मंदिर में हर शनिवार लगती है अदृश्य दुनिया की अदालत और सुनवाई करते हैं बालाजी महाराज, वीडियो में देखे चमत्कार
मेहंदीपुर बालाजी राजस्थान के दौसा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। यह दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर है। मेहंदीपुर बालाजी का यह मंदिर हाईवे से करीब तीन किलोमीटर अंदर सिकराय गांव में स्थित है। बाहर से देखने पर नजारा देश के अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों जैसा ही लगता है। माला-फूल और पूजा सामग्री बेचने वाली दुकानें, बच्चों के खिलौने, कपड़े और सजावटी सामान, कचौरी-समोसे बेचने वाले स्टॉल, चाय की दुकानें, भक्ति गीतों की गूंज और पैसे लेते और राहगीरों के माथे पर 'जय श्री राम', 'जय हनुमान' का ठप्पा लगाते बच्चे। बस एक चीज अलग थी, रास्ते में मिलने वाले 'भूत बाधा' से ग्रसित चीखते-चिल्लाते लोग।
जी हां, दरअसल यहां बालाजी महाराज के सामने भूत-प्रेत से मुक्ति के लिए अर्जी लगाई जाती है। यहां भूत-प्रेत की पेशी होती है और बालाजी महाराज खुद फैसला सुनाते हैं। मंदिर के आसपास मौजूद लोगों का कहना है कि मंदिर पहुंचने से पहले ही उनके अंदर का भूत अपनी गतिविधियां शुरू कर देता है। व्यक्ति के सिर पर बैठा भूत भी मंदिर की मौजूदगी से भागने की कोशिश करता है। बाबा उस भूत को पकड़ लेते हैं, जिसके बाद वह खुद ही मंदिर की ओर बढ़ने लगता है। अगर किसी पर जिद्दी भूत का साया होता है तो कई लोग उसे पकड़कर ले आते हैं। जिस व्यक्ति पर जिद्दी भूत का साया होता है, उसमें इतनी ताकत आ जाती है कि उसे संभालना मुश्किल हो जाता है। वह खुद को छुड़ाकर भागने की कोशिश करता है। लेकिन बाबा की चौखट पार करते ही जिद्दी से जिद्दी भूत भी शांत होने लगता है।
जब हम बालाजी मंदिर पहुंचे तो दरवाजे पर खड़ा एक व्यक्ति लोगों द्वारा लाई गई बोतलों में पानी भरता हुआ दिखाई दिया। पता चला कि लोग इस पानी को लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं। कहा जाता है कि इसे घर में रखने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं। यहां मुख्य द्वार के पास खुले बालों वाली एक महिला बुरी तरह सिर हिला रही थी। कभी वह जमीन पर लेटकर चिल्ला रही थी तो कभी मंदिर की दीवार को देखकर रो रही थी।
महिला के बगल में बैठा व्यक्ति ताली बजा रहा था और बालाजी महाराज और प्रेतराज सरकार की स्तुति में नारे लगा रहा था। हमने पूछा तो जवाब मिला- 'साहब, उनके पास एक भूत आया है। वह बालाजी के चरणों में आकर क्षमा मांग रहा है। यहां भूतों का यही हाल है। यहां तो रोज कई आते हैं।' वह सही कह रहे थे। मंदिर के सामने सड़क पर दर्जनों लोग इसी हालत में थे। वे इसी तरह सिर हिला रहे थे। वे रो रहे थे। वे चिल्ला रहे थे। वे विलाप कर रहे थे। उनमें महिलाएं ज्यादा थीं। पुरुष बहुत कम थे।
मेहंदीपुर बालाजी के तीन प्रमुख स्थान
मेहंदीपुर बालाजी धाम में तीन अलग-अलग देवताओं की पूजा की जाती है। एक तो स्वयं बालाजी महाराज। जो यहां जागृत अवस्था में विराजमान हैं। दूसरे, प्रेतराज और तीसरे भैरो बाबा। बालाजी महाराज का मंदिर पहाड़ी की तलहटी में बना है। जबकि प्रेतराज और भैरो बाबा पहाड़ियों पर विराजमान हैं। पहाड़ी वाले हिस्से को यहां तीन पहाड़ भी कहते हैं।
हम सबसे पहले बालाजी महाराज के मुख्य दरबार में पहुंचे। दरबार में प्रवेश करने के लिए लंबी कतार लगी थी। अंदर का नजारा बाहर से बिल्कुल अलग था। थोड़ा अंधेरा और शांत। सामने बालाजी महाराज की मूर्ति थी। उसे भगवा रंग में रंगा गया था। जगह-जगह चांदी के परदे भी लगाए गए थे। लोग झुककर श्रद्धापूर्वक बाबा का आशीर्वाद ले रहे थे और आगे बढ़ रहे थे। मंदिर में कई जगह फोटो और वीडियो न लेने के निर्देश थे। लोग उन्हें देखकर भी अनदेखा कर रहे थे।
यह मंदिर का पहला हिस्सा था। निर्माण कार्य के कारण दूसरा हिस्सा बंद था। कुछ महीनों तक वहां किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का दूसरा हिस्सा कभी भूत-प्रेत से पीड़ित लोगों का मुख्य केंद्र था। जहां लोगों को यातनाएं देकर उनके सिर से भूतों को उतारा जाता था। उन्हें बचाया जाता था।
मेहंदीपुर बालाजी के रहस्यमयी पहाड़
मंदिर से थोड़ा आगे तीन भागों में बंटा एक पहाड़ है। यहां एक सीढ़ीनुमा रास्ता आपको पहाड़ पर ऊपर ले जाता है। चढ़ते समय बाईं ओर घना जंगल और हनुमान जी की 151 फीट ऊंची मूर्ति दिखाई देती है। जबकि दाईं ओर कुछ दुकानें और छोटे मंदिर हैं। इन मंदिरों में भी दरबार लगते हैं। जिसमें तंत्र विद्या के विशेषज्ञ भूत-पिशाच जैसी परेशानियों का इलाज करते हैं। पहाड़ चढ़ते समय हमें ऐसे कई दरबार दिखे। जहां भूत-पिशाच जैसी बाधाओं से पीड़ित परिवार राहत के लिए आए थे। इस विषय पर ज्यादातर लोग खुलकर बोलने से बचते रहे। तीसरे पहाड़ के आखिरी मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरो बाबा विराजते हैं। यहां रास्ते में बंदरों की पूरी फौज लोगों के हाथों से पानी की बोतलें, केले और प्रसाद की थैलियां छीन रही थी।
