'सपनों की उम्र नहीं होती....' 73 में पीएचडी और 71 में CA बनने वालों ने किया साबित, पढ़िए इन रियल हीरोज़ की कहानी
कहते हैं कि सीखने और शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती, व्यक्ति जीवन भर ज्ञान अर्जित कर सकता है। राजस्थान की दो बुजुर्ग हस्तियों ने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। जोधपुर के हनुमान सिंह इंदा ने 73 वर्ष की आयु में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है, जबकि संगरिया के ताराचंद अग्रवाल ने 71 वर्ष की आयु में सीए बनकर एक बेजोड़ मिसाल कायम की है।
हनुमान सिंह इंदा को पीएचडी की उपाधि
मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ. इमरान खान के अनुसार, विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग से जुड़े शोधकर्ता हनुमान सिंह इंदा की कहानी प्रेरणादायक है। उनके शोध का विषय 'समग्र शिक्षा अभियान: जोधपुर जिले के सरकारी विद्यालयों में कार्यक्रमों के क्रियान्वयन-उपलब्धियों पर शोध प्रबंधन' था। हनुमान सिंह अर्थशास्त्र के व्याख्याता के रूप में 41 वर्षों तक एक सशक्त शिक्षक के रूप में सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए। स्वयं अर्थशास्त्र के छात्र होने के बावजूद, उन्होंने अपने शोध के लिए शिक्षा विषय को चुना, जो शिक्षा क्षेत्र के लिए एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण और सराहनीय कार्य है।
ताराचंद अग्रवाल सीए बने
राजस्थान के संगरिया मूल निवासी और जयपुर निवासी सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी ताराचंद अग्रवाल ने चार दशक बाद पढ़ाई का रास्ता अपनाया है और 71 वर्ष की आयु में सीए की अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण की है। भारतीय स्टेट बैंक के अजमेर अंचल से सहायक महाप्रबंधक के पद से 2014 में सेवानिवृत्त हुए अग्रवाल ने कोरोना काल में पत्नी दर्शना अग्रवाल के निधन के बाद खुद को पढ़ाई में पूरी तरह झोंक दिया। उन्होंने सीए इंटर का एक ग्रुप 2022 में, दूसरा 2023 में और अंतिम परीक्षा के दोनों ग्रुप जुलाई 2025 में उत्तीर्ण कर यह उपलब्धि हासिल की। परिणाम आते ही उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर "71 वर्षीय चाचा बने सीए" शीर्षक के साथ वायरल हो गईं। वे 1999 में संगरिया से जयपुर आ गए थे।
युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने
प्रदेश की बुजुर्ग हस्तियों ने शिक्षा के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर एक नया इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही वे उन युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं जो कई बार प्रयास करने के बाद भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल होकर गलत रास्ता चुन रहे हैं।
